गोरखपुर के मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (MMMUT) में तैयार किए गए फाइबर-ऑप्टिक आधारित PCR-SPR बायोसेंसर की मदद से दूध में एलर्जी प्रोटीन और लिवर संक्रमण की पहचान अब 20 से 25 मिनट में संभव हो सकेगी। सेंसर पोर्टेबल है, इसलिए जांच लैब के बिना भी की जा सकती है। भौतिकी विभाग के प्रो. डी.के. द्विवेदी के निर्देशन में शोधार्थी सपना यादव ने यह उपकरण विकसित किया। पारंपरिक प्रिज्म सेंसर भारी होते हैं और उन्हें ले जाना कठिन होता है। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए PCR (पॉलीमरेज चेन रिएक्शन) और SPR (सरफेस प्लाज्मोन रेजोनेंस) तकनीक को एक साथ जोड़कर हल्का और मोबाइल बायोसेंसर तैयार किया गया। दूध की क्वालिटी और ALT लेवल की सटीक रिपोर्ट यह सेंसर दूध में मौजूद प्रोटीन, लिपिड, कार्बोहाइड्रेट और न्यूक्लिक एसिड जैसे घटकों की तेजी से प्रोफाइलिंग करता है। दोनों परीक्षण एक ही प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होंगे, जिससे मरीज या उपभोक्ता की स्थिति तुरंत स्पष्ट हो सकेगी। लैब की तुलना में कई गुना तेज तकनीक प्रो. द्विवेदी ने बताया कि सामान्य लैब जांच में रिपोर्ट आने में कई घंटे या कभी-कभी पूरा दिन लग जाता है, जबकि इस बायोसेंसर से परिणाम 20-25 मिनट में प्राप्त हो जाएंगे। यह समय कम होने के चलते दूध की गुणवत्ता जांच, स्वास्थ्य परीक्षण और फील्ड रिसर्च में उपयोगी रहेगा। यह शोध इंग्लैंड के अंतरराष्ट्रीय जर्नल स्प्रिंगर में प्रकाशित किया गया है और बायोसेंसर डिजाइन का पेटेंट आवेदन प्रक्रिया में है। कुलपति प्रो. जे.पी. सैनी के अनुसार यह तकनीक स्वास्थ्य क्षेत्र और डेयरी सेक्टर में त्वरित जांच उपलब्ध कराने में उपयोगी सिद्ध होगी।
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