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KGMU में 30 दिव्यांगों को मिली व्हीलचेयर:कुलपति ने बताया रोल मॉडल, कहा- दिव्यांग नई दिशा देने का माद्दा रखते हैं

दिव्यांग हमारे लिए बोझ नहीं, ये हमारे पथ प्रदर्शक हैं। इनके अंदर गजब की लगन और अद्भुत क्षमता होती है। आलस त्याग कर आगे बढ़ने का इनके अंदर जबरदस्त जज्बा होता। जो हम सभी को देश और समाज सेवा की सीख देता है। ये हमारे रोल मॉडल है। ऐसे में हर दिव्यांग के प्रति हमेशा इज्जत और लगाव का भाव रखना चाहिए। ये कहना है KGMU की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद का। बुधवार को फिजिकल मेडिसिन और रिहैबिलिटेशन (PMR) विभाग में दिव्यांग दिवस कार्यक्रम में बोल रही थी। उन्होंने बताया कि दिव्यांग समाज को नई दिशा देने का माद्दा भी रखते हैं। सबसे पहले कार्यक्रम से जुड़ी तस्वीरें देखे.. पोस्टर प्रदर्शनी का भी हुआ आयोजन KGMU के फिजिकल मेडिसिन और रिहैबिलिटेशन (PMR) विभाग के प्रमुख डॉ. अनिल कुमार गुप्ता ने बताया कि हर साल की तरह इस बार भी KGMU कैंपस में बड़ा आयोजन किया गया। इस दौरान दिव्यांगजनों के बीच खेलकूद की प्रतियोगिता भी हुई। पैरामेडिकल स्टूडेंट्स की तरफ से पोस्टर प्रदर्शनी का भी आयोजन हुआ। 30 से ज्यादा दिव्यांगों को आर्टिफिशियल लिम्बस, कैलिपर्स और व्हीलचेयर भी दी गई। कार्यक्रम में कुलपति भी मौजूद रही और उन्होंने खुद भी कई दिव्यांग बच्चों के मनोबल को बढ़ाया। डॉ. अनिल ने बताया – एक्सीडेंट से दिव्यांग होने वाले रोजाना तीन से चार मरीज यहां पहुंचते हैं। कुछ ऐसे मरीज भी होते हैं जो पुराने होते हैं और जिन्हें अपना कृत्रिम अंग बदलवाना होता है। दूसरे वह होते हैं जिनकी सर्जरी हो गई चोट का घाव भरा नहीं है। ऐसे मरीजों के लिए भी स्टंप बनाया जाता है। ऐसे मरीजों को भर्ती कर कर एक्सरसाइज कर के उन्हें ठीक किया जाता है। इसके बाद उनका आर्टिफिशियल अंग बनाया जाता है। मरीजों को मिलती है राहत डॉ.अनिल कुमार गुप्ता के मुताबिक, साल में लगभग 150 से 200 आर्टिफिशियल लिंब बनाए जाते हैं। लगभग इतने ही पुराने मामले होते हैं। जिसमें मरीज अपना लिंब बदलवाने या नया करवाने आते हैं। 5 से 6 हजार आर्टिफिशियल लिंब ऐसे मरीजों के लिए बनते हैं जो किसी अन्य बीमारी से पीड़ित होते हैं। जिसमें सेब्रल पाल्सी, पोलियो और ट्रॉमा के केस शामिल हैं। आगे चलकर शिक्षक बनना चाहता हूं बीकेटी के रहने वाले आठवीं पास दीपक ने बताया- मैं पढ़ाई करता था पर अचानक से पैरों में दिक्कत हुई जिस कारण स्कूल जाना छूट गया। तब से लगातार अस्पतालों के चक्कर काट रहा हूं। दवाई पर चल रहा हूं। डॉक्टर ने बताया है कि मुझे जो बीमारी हुई है, इसका इलाज है और उम्मीद है कि मैं बहुत जल्दी ठीक हो जाऊंगा। तब एक बार फिर से पढ़ाई शुरू कर सकूंगा। मैं आगे चलकर शिक्षक बनना चाहता हूं। शुरू में इलाज में थोड़ी लापरवाही हुई दीपक की मां नीलम कहती हैं बेटा पढ़ाई में बहुत तेज था। वह रोज स्कूल जाता था और अचानक दोनों पैरों में उसके अकड़न हुई फिर उसका चलना फिरना बंद हो गया। अब पूरी तरह से व्हीलचेयर पर है। शुरुआत में इलाज में थोड़ी लापरवाही हुई पर अब लगातार इलाज चल रहा है। KGMU के डॉक्टरों ने कहा वह ठीक हो जाएगा। आज यहां आए थे तो व्हीलचेयर मिली है। बेटा बहुत खुश है।


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