दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में आयोजित विद्या परिषद (Academic Council) की बैठक में कई महत्वपूर्ण शैक्षणिक और शैक्षिक सुधार संबंधी फैसले लिए गए। बैठक की अध्यक्षता कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने की गई। बैठक में निर्णय लिया गया कि विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, मैकेनिकल इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रॉनिक्स कम्युनिकेशन विषयों में एम.टेक पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा। इससे तकनीकी और शोध आधारित शिक्षा को नई गति मिलेगी। संविदा शिक्षक भी करा सकेंगे पीएचडी
एक महत्वपूर्ण निर्णय में विद्या परिषद ने विश्वविद्यालय के संविदा शिक्षकों (असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर) को पीएचडी कराने की अनुमति प्रदान की गई है, जिससे शैक्षणिक उन्नयन तथा शोध संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। इंजीनियरिंग और फार्मेसी में पीएचडी कोर्सवर्क, एम.फार्मा को मंजूरी बैठक में स्ववित्तपोषित इंजीनियरिंग और फार्मेसी फैकल्टी के लिए पीएचडी कोर्सवर्क को अनुमोदित किया गया। साथ ही एम.फार्मा पाठ्यक्रम को भी स्वीकृति दी गई। यह निर्णय फार्मेसी शिक्षा एवं शोध को मज़बूत करेगा। रिसर्च प्रोजेक्ट और एजुकेशनल टूर का ऑप्शन
भूगोल विभाग में विद्यार्थियों के लिए यह व्यवस्था की गई है कि वे एजुकेशनल टूर के साथ-साथ रिसर्च प्रोजेक्ट में से किसी एक विकल्प का चयन कर सकेंगे। इससे विद्यार्थियों को व्यवहारिक और शोध आधारित शिक्षा का अवसर मिलेगा। स्वयं आधारित यूजी, पीजी कोर्सों को दी मंजूरी
विद्या परिषद ने स्वयं (SWAYAM) प्लेटफ़ॉर्म पर आधारित स्नातक (यूजी) और परास्नातक (पीजी) स्तर के पाठ्यक्रमों को औपचारिक मंजूरी प्रदान की।पीजी द्वितीय सेमेस्टर के लिए 20 से अधिक इंटर-डिपार्टमेंटल ओपन इलेक्टिव (4-क्रेडिट) पाठ्यक्रमों को स्वीकृति दी गई है। कला, विज्ञान, वाणिज्य के विद्यार्थियों को मिलेगा लाभ वहीं यूजी स्तर पर 6 कौशल संवर्धन पाठ्यक्रम (SEC – 3 क्रेडिट, द्वितीय सेमेस्टर) तथा 6 क्षमता संवर्धन पाठ्यक्रम (AEC – 2 क्रेडिट, चतुर्थ सेमेस्टर) को भी अनुमोदित किया गया है। इन ओपन इलेक्टिव पाठ्यक्रमों का लाभ कला, विज्ञान, वाणिज्य व शिक्षा संकाय के विद्यार्थियों को मिलेगा। स्वयं प्लेटफ़ॉर्म पर उपलब्ध राष्ट्रीय स्तर के बहुविषयक व समकालीन महत्व के पाठ्यक्रमों में से विश्वविद्यालय ने भारतीय ज्ञान परंपरा, संस्कृत व्याकरण, अकादमिक लेखन, भावनात्मक बुद्धिमत्ता, हिंदी उपन्यास, बौद्ध दर्शन, बिजनेस एनवायरनमेंट और एनवायरनमेंटल इश्यूज जैसे पाठ्यक्रमों का चयन किया है। स्वयं प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से विद्यार्थियों को देश के अग्रणी शिक्षाविदों से विकसित वीडियो व्याख्यान, ई-कंटेंट, असाइनमेंट और मूल्यांकन जैसी सुविधाएं एक ही मंच पर उपलब्ध होंगी, जिससे परास्नातक स्तर की शिक्षा डिजिटल, लचीली, बहुविषयक और शोध-उन्मुख बनेगी। स्नातक स्तर पर SEC और AEC पाठ्यक्रमों का उद्देश्य विद्यार्थियों में जीवन-कौशल, क्षमता विकास एवं रोजगारोन्मुख दक्षताओं को सुदृढ़ करना है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप पहल
कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि स्वयं आधारित पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय की शिक्षा व्यवस्था को राष्ट्रीय स्तर की गुणवत्तापूर्ण सामग्री, डिजिटल लचीलापन और बहुविषयक सीखने से जोड़ते हैं। उन्होंने कहा कि इन पहलों से ज्ञान, कौशल और मूल्य,राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की मूल भावना को मजबूत आधार मिलेगा। विद्या परिषद ने यह भी संकेत दिया कि भविष्य में आवश्यकता और प्रासंगिकता के अनुसार स्वयं प्लेटफ़ॉर्म के और भी पाठ्यक्रम जोड़े जाएंगे, ताकि विद्यार्थियों को अधिक व्यापक और समकालीन शैक्षणिक अवसर प्राप्त हो सकें।
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