विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) और INFLIBNET की ओर से शोध–चक्र (SHODH–CHAKRA) के क्रियान्वयन की प्रगति और दो नए राष्ट्रीय डिजिटल शोध–प्लेटफॉर्म्स के शुभारंभ के संबंध में बुधवार को राष्ट्रीय ऑनलाइन बैठक आयोजित की गई। जिसमें डीडीयू की कुलपति ने भी हिस्सा लिया। इस महत्वपूर्ण बैठक में देशभर के 900 से अधिक विश्वविद्यालयों के कुलपति, कुलसचिव, रिसर्च सेल हेड और वरिष्ठ अधिकारी सम्मिलित हुए। इस बैठक में डीडीयू के शोध कार्यों के लिए किये गए पहल की सराहना भी गई। बैठक में दो नए राष्ट्रीय शोध–प्लेटफॉर्म्स SHODH–PRAGYA (शोध–प्रज्ञा) और SHODH–PRABHA (शोध–प्रभा) का परिचय और विस्तृत जानकारी दी गई। UGC और INFLIBNET की यह पहल देश के विश्वविद्यालयों में क्वालिटी बेस्ड रिसर्च, इनोवेशन और टेक्निकल प्रोग्रेस को नई दिशा दे रही है। उच्च शिक्षा को नई दिशा देंगे दोनों प्लेटफॉर्म
यूजीसी और इनफ्लिबनेट के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि ये दोनों प्लेटफॉर्म अनुसंधान गतिविधियों को अधिक पारदर्शी, संरचित और राष्ट्रीय स्तर पर आसान बनाकर उच्च शिक्षा को नई दिशा देंगे। उत्कृष्ट प्रदर्शन की सराहना
राष्ट्रीय प्रस्तुति के दौरान यह उल्लेख किया गया कि उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालय शोध–चक्र क्रियान्वयन में लगातार अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। विशेष रूप से दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने शोध–चक्र के विभिन्न मानकों पर उत्कृष्ट प्रगति, सक्रिय शोध–संस्कृति, डिजिटल अपग्रेडेशन और अनुसंधान व पेटेंट–आधारित उपलब्धियों के आधार पर राष्ट्रीय स्तर पर विशेष सराहना प्राप्त की। गोरखपुर विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व
बैठक में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की ओर से कुलपति प्रो. पूनम टंडन, कुलसचिव, डायरेक्टर, रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेल, निदेशक, आईक्यूएसी (IQAC) और अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने हिस्सा लिया। जिन्होंने विश्वविद्यालय की शोध–उन्मुख उपलब्धियों व डिजिटल पहलों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। भारतीय शोध के लिए मील का पत्थर इस अवसर पर कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा- यूजीसी और इनफ्लिबनेट द्वारा विकसित ये दोनों नए शोध–चक्र इनोवेटिव डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भारतीय उच्च शिक्षा को शोध–प्रधान, पारदर्शी और तकनीकी रूप से सशक्त बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे। गोरखपुर विश्वविद्यालय शोध–चक्र के सभी मानकों पर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहा है। हमारी शोध–संस्कृति, डिजिटल दक्षता, नवाचार–केंद्रित गतिविधियां और पेटेंट–आधारित निरंतर प्रगति अत्यंत प्रशंसनीय है।
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