उन्नाव के तत्कालीन क्षेत्राधिकारी (CO) दीपक सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के मामले में एक नया मोड़ आया है। उन्नाव के SC/ST विशेष न्यायालय द्वारा पुरवा थाना क्षेत्र के एक गंभीर प्रकरण में मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए गए थे, जिस पर अब उच्च न्यायालय लखनऊ खंडपीठ ने अंतरिम रोक लगा दी है। यह मामला पुरवा के भुलेमऊ निवासी मूलचंद की अपील से संबंधित है। मूलचंद ने धारा 156(3) के तहत अदालत से कार्रवाई की मांग की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि उनके भाई श्रीचंद ने उत्पीड़न और पुलिस की निष्क्रियता के कारण स्वयं को आग लगा ली थी, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। मूलचंद ने इस घटना में तत्कालीन CO दीपक सिंह समेत अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी। उन्नाव के SC/ST कोर्ट ने 25 नवंबर 2025 को पुरवा थाना पुलिस को इस मामले में मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था। अदालत के इन निर्देशों के बाद पुलिस को संबंधित धाराओं में केस दर्ज करना था। हालांकि, CO दीपक सिंह ने इस आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय लखनऊ में एक याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने प्रारंभिक सुनवाई के दौरान महत्वपूर्ण टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि SC/ST कोर्ट द्वारा जारी आदेश में BNSS की धारा 175(4) के प्रावधानों का पालन नहीं किया गया है। उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि किसी भी सरकारी अधिकारी के खिलाफ ऐसी कार्रवाई से पहले विधिक प्रक्रिया और अनिवार्य अनुमति का पालन करना आवश्यक है। इसी आधार पर हाईकोर्ट ने न केवल FIR दर्ज करने के आदेश पर रोक लगा दी, बल्कि उन्नाव की संबंधित निचली अदालत को भी इस पूरे मामले में आगे की किसी भी कार्यवाही पर रोक लगाने का निर्देश दिया। हाईकोर्ट ने इस मामले को महत्वपूर्ण मानते हुए अगली सुनवाई की तारीख 15 जनवरी 2026 तय की है। इस दिन दोनों पक्षों के तर्कों को विस्तार से सुना जाएगा, जिसके बाद यह तय होगा कि SC/ST कोर्ट का आदेश बरकरार रहेगा या उसे स्थायी रूप से रद्द कर दिया जाएगा।
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