हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी (HBTU) और आईआईटी कानपुर मिलकर HBTU कैंपस में ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में सेंटर फॉर एक्सीलेंस बनाएंगे। 50 करोड़ लागत के इस प्रोजेक्ट का चयन यूपीनेडा द्वारा किया गया है। सेंटर बनने के बाद ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन को लेकर शोध किया जाएगा। इसके साथ ही स्टूडेंट्स को ट्रेनिंग और इंटर्नशिप का मौका मिलेगा। ग्रीन हाइड्रोजन से चलने वाले वाहनों और किचन यूज में आने वाले बर्नर को तैयार किया जाएगा। टेक्नोलॉजी विकसित होने के बाद छात्र-छात्राओं और अन्य लोगों को ग्रीन हाइड्रोजन से संबंधित स्टार्टअप भी कराए जाएंगे। इस सेंटर में एक मॉडर्न लैब बनेगी, जिसमें टेस्टिंग के साथ बड़े स्तर के शोध होंगे। HBTU के कुलपति प्रो. शमशेर ने बताया कि यह परियोजना उत्तर प्रदेश की ग्रीन हाइड्रोजन नीति-2024 के अंतर्गत चयनित की गई है। इस प्रस्तावित सेंटर फॉर एक्सीलेंस के लिए आवश्यक भूमि HBTU कानपुर द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे परियोजना के शीघ्र क्रियान्वयन का मार्ग प्रशस्त होगा। सेंटर आफ एक्सीलेंस में आईआईटी कानपुर उच्च स्तरीय तकनीकी सहयोग और उन्नत शोध मार्गदर्शन प्रदान करेगा। ईवी और इंडस्ट्रियल बर्नर समेत स्टार्टअप प्रोजेक्ट पर होगा काम
सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस में ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन, उन्नत इलेक्ट्रोलाइज़र डिज़ाइन, फ्यूल-सेल तकनीक, पाइपलाइन ट्रांसपोर्ट, सेफ्टी सिस्टम, हाइड्रोजन सेंसर तथा स्मार्ट कंट्रोल एवं ऑटोमेशन सिस्टम पर शोध किया जाएगा। साथ ही फ्यूल-सेल आधारित इलेक्ट्रिक वाहनों, हाइड्रोजन आधारित औद्योगिक बर्नर, ग्रीन अमोनिया और पायलट स्टार्ट-अप प्रोजेक्ट्स पर भी कार्य होगा। आधुनिक प्रयोगशाला स्थापित होगी
इसके अतिरिक्त, सेंटर में मेम्ब्रेन टेक्नोलॉजी, उन्नत मॉडलिंग-सिमुलेशन तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित प्रोसेस ऑप्टिमाइजेशन और फॉल्ट डिटेक्शन पर विशेष फोकस रहेगा। इसके लिए इलेक्ट्रोलाइज़र परीक्षण प्रयोगशाला, फ्यूल-सेल टेस्टिंग यूनिट, हाइड्रोजन स्टोरेज व सेफ्टी लैब, हाई-प्रेशर टैंक परीक्षण तथा हाइड्रोजन लीक डिटेक्शन सिस्टम जैसी आधुनिक प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी, जिनमें शुद्धता जांच, सामग्री मजबूती और पाइपलाइन कंप्रेसर परीक्षण भी किए जाएंगे। केमिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट करेगा नेतृत्व
HBTU कानपुर की ओर से इस परियोजना का समन्वय केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर डॉ. जीएल देवनानी द्वारा किया जाएगा। उनके नेतृत्व में डॉ. आशीष कपूर, डॉ. प्रणव चौधरी, डॉ. अमित राठौर, डॉ. शिना गौतम, डॉ. जितेन्द्र भास्कर, डॉ. राजेश वर्मा, डॉ. निशांत कुमार, डॉ. सचिन कुमार, डॉ. मनोज कुमार एवं डॉ. संतोष कुमार इस परियोजना के शोध, अकादमिक योजना एवं औद्योगिक सहयोग को आगे बढ़ाएंगे। इस सेंटर फॉर एक्सीलेंस में HBTU के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के नेतृत्व में मैकेनिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, प्लास्टिक इंजीनियरिंग, फिजिक्स एवं केमिस्ट्री विभागों की संयुक्त भागीदारी रहेगी। यह बहुविषयक मॉडल ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन, भंडारण, परिवहन एवं औद्योगिक अनुप्रयोगों के सभी पहलुओं पर शोध को सक्षम बनाएगा। रिसर्च के साथ इंटर्नशिप व स्टार्टअप की भी फैसिलिटी
यह सेंटर शोध के साथ-साथ छात्रों के लिए विशेष प्रशिक्षण, उद्योग आधारित इंटर्नशिप, स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम और ग्रीन हाइड्रोजन आधारित स्टार्ट-अप इनक्यूबेशन की सुविधा भी प्रदान करेगा। इससे युवाओं के लिए नए रोजगार अवसर सृजित होंगे और प्रदेश में स्वच्छ ऊर्जा आधारित उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह परियोजना उत्तर प्रदेश में ग्रीन हाइड्रोजन आधारित औद्योगिक क्रांति का आधार बनेगी। रिफाइनरी, उर्वरक, परिवहन और ऊर्जा उत्पादन जैसे क्षेत्रों में ग्रीन हाइड्रोजन के उपयोग से कार्बन उत्सर्जन में बड़ी कमी आएगी और राज्य की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूती मिलेगी। स्वच्छ और टिकाऊ ईधन ग्रीन हाइड्रोजन (Green Hydrogen) वह हाइड्रोजन गैस है जिसे पानी (H₂O) के इलेक्ट्रोलिसिस (Electrolysis) द्वारा बनाया जाता है, जिसमें सौर या पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त बिजली का उपयोग किया जाता है, जिससे कोई ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन नहीं होता, और यह एक स्वच्छ, टिकाऊ ईंधन है जो जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करता है। इसे हाइड्रोजन उत्पादन का सबसे ‘स्वच्छ’ तरीका माना जाता है और यह भारी उद्योगों, परिवहन (जैसे बसों) और ऊर्जा भंडारण के लिए भविष्य का ईंधन हो सकता है।
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