उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना से भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की। इस दौरान व्यापारियों ने जीएसटी से संबंधित पेनल्टी और ब्याज माफी योजना को प्रदेशव्यापी स्तर पर लागू करने की मांग की। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व प्रदेश महामंत्री ने किया, जबकि अध्यक्षता प्रदेश चेयरमैन सुधीर यश हलवासिया ने की। प्रतिनिधिमंडल ने वित्त मंत्री से आग्रह किया कि उत्तराखंड सरकार ने हाल ही में वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 से संबंधित जीएसटी पेनल्टी और ब्याज को मूल कर राशि जमा करने की शर्त पर माफ कर दिया है। इस कदम से वहां के छोटे, मध्यम और कुटीर उद्योगों को काफी राहत मिली है, जिससे आर्थिक गतिविधियों में तेजी आई है। व्यापारियों ने कहा कि राहत देने के मामले में उत्तर प्रदेश हमेशा अग्रणी रहा है और अन्य राज्य उसकी औद्योगिक व व्यापारिक नीतियों से प्रेरणा लेते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी विगत वर्षों में विभिन्न जिलों में जीएसटी से संबंधित ब्याज और पेनल्टी माफी योजनाएं लागू की थीं। इन योजनाओं से हजारों व्यापारियों को राहत मिली थी, अनुपालन दर में सुधार हुआ था और राज्य को राजस्व का मूल घटक प्राप्त हुआ था। इन पहलों ने प्रदेश के व्यापारियों में सरकार की नीतियों के प्रति विश्वास को मजबूत किया था। वर्तमान में, प्रदेश के कई व्यापारी, विशेषकर सूक्ष्म, लघु और कुटीर उद्यम, पुराने कर वर्षों की तकनीकी त्रुटियों, डिजिटल चुनौतियों और ब्याज-पेनल्टी के भारी बोझ के कारण कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। व्यापारी अपनी मूल कर देनदारी का भुगतान करने के इच्छुक हैं, लेकिन दंडात्मक शुल्क उनकी आर्थिक क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। प्रतिनिधिमंडल ने तर्क दिया कि यदि राज्य स्तर पर यह पेनल्टी और ब्याज माफी योजना फिर से लागू की जाती है, तो व्यापारियों को कर जमा करने की जटिलताओं और दंडात्मक बोझ से राहत मिलेगी। इससे एमएसएमई, कुटीर और स्थानीय उद्योगों को स्थिरता मिलेगी, रोजगार सृजन को सीधा प्रोत्साहन मिलेगा और प्रदेश की आर्थिक गतिविधियों को अधिक सशक्त गति प्राप्त होगी। उन्होंने इन परिस्थितियों पर सकारात्मक विचार करने का आग्रह किया।
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