जीएसटी ट्रिब्यूनल (अधिकरण) में अपील दायर करने पर निर्धारित 5,000 से 25,000 रुपये तक की कोर्ट फीस, प्रत्येक प्रार्थना पत्र पर 5,000 रुपये शुल्क, अभिलेख देखने एवं प्रमाणित प्रतियां प्राप्त करने पर लगाए जा रहे शुल्कों को समाप्त किए जाने की मांग को लेकर भारतीय उद्योग व्यापार मण्डल के पदाधिकारियों ने अपर आयुक्त को एक ज्ञापन सौंपा है। इसके साथ ही बकाया टैक्स के मामलों में चल-अचल संपत्ति की सीजर कार्रवाई के बजाय नोटिस के माध्यम से सूचना दिए जाने की भी मांग की। भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष ज्ञानेश मिश्र के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने अपर आयुक्त सैमुअल पाल से वार्ता की। इस दौरान उन्होंने बताया कि देश में 1 जुलाई 2017 से जीएसटी प्रणाली लागू होने के बाद पिछले आठ वर्षों में अपील से संबंधित हजारों मामले लंबित हैं, जिनमें देशभर के लाखों व्यापारियों एवं उद्यमियों की करोड़ों रुपये फंसे हुये है। इन मामलों का निस्तारण जीएसटी ट्रिब्यूनल के माध्यम से किया जाता है, लेकिन वर्तमान में अपील के लिए ज्यादा पैसे खर्च होते है। प्रदेश अध्यक्ष ज्ञानेश मिश्र ने कहा कि ट्रिब्यूनल में अपील दाखिल करने पर 5,000 से 25,000 रुपये तक की कोर्ट फीस लगती है, एक बार प्रार्थना पत्र देने पर 5,000 रुपये शुल्क, अभिलेख देखने के लिए शुल्क तथा आदेश की प्रमाणित प्रतियों पर प्रति पृष्ठ शुल्क लिया जा रहा है, जो गलत है। जबकि पूर्व में वैट कानून और वर्तमान आयकर अपीलीय व्यवस्था में इस प्रकार की भारी फीस का कोई नियम नहीं था। उन्होंने कहा कि जीएसटी ट्रिब्यूनल में वही व्यापारी अपील करता है, जिसे अपने पक्ष में निर्णय आने की वास्तविक संभावना होती है। ऐसे में पहले से वर्षों से फंसी पूंजी और ऊपर से भारी शुल्क, न्याय की भावना को प्रभावित कर रहे हैं। वार्ता में संगठन के अधिकारियों ने यह भी मुद्दा उठाया कि जीएसटी ट्रिब्यूनल में अपील व प्रार्थना पत्र केवल अंग्रेज़ी भाषा में स्वीकार किए जा रहे हैं, जबकि हिंदी भाषी क्षेत्र के व्यापारियों के लिए यह व्यवस्था व्यवहारिक नहीं है। उन्होंने मांग की कि ट्रिब्यूनल की कार्यवाही हिंदी भाषा में भी उपलब्ध कराई जाए। इसके अलावा, संगठन के जिला वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रवीण दीक्षित एवं जिला उपाध्यक्ष कुंदन शर्मा ने वर्ष 2008 में वैट लागू होने के समय जमा की गई बकाया धनराशि के बावजूद स्थानीय स्टेट जीएसटी कार्यालय से नोटिस जारी किए जाने का मामला भी उठाया। इस पर अपर आयुक्त सैमुअल पाल ने ट्रिब्यूनल से संबंधित मामलों को जीएसटी काउंसिल को भेजने तथा स्थानीय स्तर की समस्याओं के शीघ्र समाधान का आश्वासन दिया। ज्ञापन सौंपने वालों में प्रदेश मंत्री रोशन गुप्ता, जिला वरिष्ठ महामंत्री मनीष गुप्ता सलोने, कोषाध्यक्ष विजय गुप्ता गोरे, युवा जिला अध्यक्ष आशीष मिश्र, जिला संयुक्त महामंत्री के.के. गुप्ता, जिला वरिष्ठ उपाध्यक्ष शशांक दीक्षित, जितेंद्र सिंह, इखलाक मिर्जा, अब्दुल वहीद, कृषि उत्पाद जिला अध्यक्ष अनुराग जायसवाल, युवा महामंत्री मनोज विश्वकर्मा, अरविंद गुप्ता, प्रवीण दीक्षित, कुंदन शर्मा, अजय यादव, अतरुद्दीन, शिव विश्वकर्मा एवं हिमांशु बाजपेई सहित अनेक पदाधिकारी उपस्थित रहे।
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