दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में इंडस्ट्रियल माइक्रोबायोलॉजी के डॉ. साहिल महफूज और लखनऊ के बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के डॉ. युसूफ अख्तर की ओर से किए गए महत्वपूर्ण शोध को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी पहचान मिली है। उनका शोध जर्मनी से प्रकाशित होने वाले ‘जर्नल ऑफ बेसिक माइक्रोबायोलॉजी’ के दिसंबर 2025 अंक के कवर पेज पर प्रकाशित किया गया है, जो वैज्ञानिक समुदाय में बेहद ही सम्मानित माना जाता है। जानिए शोध के विषय में
शोध अध्ययन में पाया गया है कि मीथेनोजेनिक सूक्ष्मजीवों में पाए जाने वाले प्रोटीन के सिंपल सीक्वेंस रिपीट्स (SSRs) मीथेन उत्पादन की दक्षता को प्रभावित करते हैं। शोध से संकेत मिलता है कि SSRs प्रोटीन की संरचना और लचीलेपन को नियंत्रित कर मीथेन निर्माण प्रक्रिया को तेज और अधिक प्रभावी बना सकते हैं। इन निष्कर्षों के आधार पर भविष्य में ऐसे सूक्ष्मजीव तैयार किए जा सकते हैं जिन्हें उच्च मीथेन उत्पादन के लिए इंजीनियर किया जा सके। इस शोध में सीएसआईआर–आईजीआईबी, नई दिल्ली के वैज्ञानिक डॉ. जितेंद्र नारायण ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। भविष्य में शोध के लिए नए रास्ते
कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने इस उपलब्धि पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि यह शोध विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैज्ञानिक पहचान दिलाने वाला है। इस तरह की उपलब्धि से भविष्य में शोध के लिए नए रास्ते खोलेगी। वहीं वनस्पति विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार द्विवेदी ने कहा कि यह कार्य ग्रामीण ऊर्जा और पर्यावरण-सुधार संबंधी तकनीकों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह खोज भविष्य में जैव-ऊर्जा क्षेत्र के लिए नए रास्ते खोलेगी। मीथेन को स्वच्छ, सस्ते और सतत ऊर्जा स्रोत के रूप में विकसित करने की दिशा में यह शोध एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
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