हेलो प्रमोद कुमार, मैं कानपुर क्राइम ब्रांच टीम से बात कर रहा हूं, तुम्हारे गूगल क्राेम का डाटा एनालिसिस पुलिस कर रही थी। जिससे हिस्ट्री से जानकारी मिली है, कि तुम मोबाइल फोन पर बहुत पोर्न वीडियो देखते हो, तुम्हारे खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई है। पुलिस तुम्हारे घर आ रही है… तभी प्रमोद कुमार को पुलिस सायरन की आवाज सुनाई देती है, यह सुनकर वह घबरा जाता है और कहता है कि–सर गलती हो गई मुझे माफ कर दीजिए… अब ऐसा कभी नहीं करूंगा… फोन करने वाला युवक– मुझे तुम्हारी गिरफ्तारी के आदेश मिले है, मैं कुछ नहीं कर सकता, बचना है तो डीसीपी क्राइम अतुल श्रीवास्तव सर से बात करो… और हां बात करने से पहले जय हिंद जरूर बोलना… चंद मिनट बाद दूसरी रौबीली आवाज सुनाई देती है– हेलो, मैं डीसीपी क्राइम अतुल श्रीवास्तव बोल रहा हूं… प्रमोद तुम्हारी शिकायत आई है कि तुम मोबाइल पर पोर्न वीडियो देखते हो। प्रमोद बोला– सर गलती हो गई, एक बार माफ कर दीजिए… घर में पुलिस आ गई तो बहुत बेईज्जती हो जाएगी… डीसीपी क्राइम– ठीक है, इस नंबर पर पैसे ट्रांसफर करो… पैसे भेजने के बाद अपना एक माफीनामा भी भेज देना… पोर्न वीडियो देखने के नाम पर ठगी करने वाले रैकेट का खुलासा कानपुर क्राइम ब्रांच की टीम ने किया है। कानपुर देहात के जंगलों में बनाए थे डेरा आरोपी कानपुर देहात स्थित खेत, जंगलों में बैठ कर लोगों से ठगी करते थे। शातिर आरोपी कानपुर पुलिस कमिश्नरेट में तैनात पुलिस अधिकारियों का ट्रांसफर–पोस्टिंग जानने के लिए सोशल मीडिया पर वायरल होने वाली पुलिस गश्ती की लिस्ट देखते थे। फिर उस पोस्ट पर तैनात अधिकारी का नाम लेकर लोगों को ठगते थे। डीसीपी क्राइम अतुल श्रीवास्तव ने बताया कि आरोपियों ने उनका नाम लेकर भी ठगी की वारदात को अंजाम दिया था। क्राइम ब्रांच की टीम ने डाटा एनालिसिस कर आरोपियों को दबोचा है। श्रावस्ती निवासी पीड़ित ने की थी शिकायत डीसीपी क्राइम अतुल श्रीवास्तव ने घटना खुलासा करते हुए बताया कि श्रावस्ती निवासी प्रमोद कुमार के पास एक माह पहले फोन आया। फोन करने वाले ने खुद को कानपुर साइबर क्राइम टीम का अधिकारी बताते हुए कहा कि– तुम्हारे गूगल क्रोम का पुलिस एनालिसिस कर रही थी, जिसकी हिस्ट्री से पता चला है कि तुम मोबाइल पर बहुत पोर्न वीडियो देखते हो, जिस पर वह घबरा गए। इसका फायदा उठा कर युवक ने कहा कि तुम्हारे घर पुलिस आ रही है, इसी दौरान उन्हें मोबाइल पर पुलिस सायरन बजने की आवाज सुनाई दी। 17 दिसंबर को पुलिस ने दर्ज किया था मुकदमा प्रमोद ने माफी मांगते हुए दोबारा न ऐसा न करने को कहा, जिस पर फोन करने वाला युवक बोला कि डीसीपी क्राइम अतुल श्रीवास्तव सर बात करेंगे। कुछ देर बाद दूसरी आवाज आई, जिसमें डीसीपी क्राइम बने युवक ने प्रमोद को जेल भेजने की धमकी दी, दोबारा ऐसा न करने की बात पर यूपीआई के जरिए उनसे 46 हजार रुपए ठग लिए। कुछ दिनों बाद उन्होंने अपने परिचित को घटना के बारे में बताया, तो उसने ठगी होने की बात कही। जिसके बाद प्रमोद ने कानपुर साइबर क्राइम टीम से संपर्क किया। पुलिस ने 17 दिसंबर को प्रमोद की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया और जांच में जुट गई। डीसीपी क्राइम ने बताया कि कुछ समय से पोर्न वीडियो देखने के नाम पर ठगी की करीब 7 वारदातें सामने आई थी। इसमें खास बात यह थी ठगों की बोली–भाषा कानपुर की बोली से काफी मैच कर रही थी। साइबर क्राइम टीम विभिन्न पोर्टल से कानपुर में एक्टिव क्रिमिनल की भी जानकारी कर रही थी। जिसमें सामने आया कि ठग कानपुर पुलिस कमिश्नरेट के अधिकारी बनकर लोगों के ठगी कर रहे थे। दो भाई समेत पांच लोग पकड़े गए साइबर क्राइम टीम ने कानपुर देहात, गजनेर के मन्नहापुर निवासी दो भाइयों सुरेश, दिनेश, कानपुर देहात, दुर्गापुरवा, नारायणपुर निवासी पंकज सिंह और बर्रा 2 निवासी अमन विश्वकर्मा, विनय सोनकर को गिरफ्तार किया। डीसीपी क्राइम ने बताया कि शातिर कानपुर देहात के जंगल और खेतों में अपना डेरा बनाए थे। वह खेत के अलग–अलग कोने में बैठ कर लोगों को कॉल करते थे। जाल में फंसने पर अधिकारी से बात कराने के नाम पर खेत में बैठे दूसरे साथी से बात कराते थे, इस दौरान उनका अन्य साथी मोबाइल में डाउनलोड MP–3 फाइल के जरिए पुलिस का सायरन और गाड़ियों के हॉर्न की आवाज शुरू कर देते थे, जिससे पीड़ित को लगता था कि पुलिस उसके घर पहुंच रही है। इसके बाद शातिर उनसे रकम ऐंठते थे, आरोपी पीड़ितों से क्यूआर कोड, यूपीआई आईडी, ऑनलाइन पैसा ट्रांसफर कराते थे। अधिकारियों की तैनाती के लिए पढ़ते थे पुलिस गश्ती ठगी के शिकार लोग लोकलाज के भय पुलिस से शिकायत करने से कतराते थे। डीसीपी ने बताया कि पकड़े गए आरोपियों में सबसे ज्यादा पंकज पढ़ा लिखा है, उसने बीए पास किया है। शेष अन्य आरोपी 7वीं, 8वीं क्लास तक ही पढ़े हैं। शातिरों ने अब तक कितने की ठगी की है, इसका पता लगाने के लिए आरोपियों के खातों की जांच की जा रही है। साइबर क्राइम में तैनात दरोगा शिव कुमार ने बताया आरोपी पुलिस अधिकारियों की तैनाती जानने के लिए न्यूज पेपर और सोशल मीडिया पर जारी पुलिस गश्ती को पढ़ते थे, गैंग के कुछ आरोपी फरार है उनकी भी तलाश की जा रही है।
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