मथुरा के प्रसिद्ध BSA डिग्री कॉलेज में प्रबंध समिति और प्रिंसिपल के बीच चल रहा विवाद गहराता जा रहा है। हालांकि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी आगरा ने 4 साल से चल रहे गतिरोध को खत्म करते हुए श्री अग्रवाल शिक्षा मंडल के अधीन BSA डिग्री कॉलेज की प्रबंध समिति को अनुमोदित कर दिया लेकिन इसके बावजूद प्राचार्य पर समिति ने कॉलेज में बैठक न करने देने का आरोप लगाया है। समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि प्राचार्य एकल प्रणाली से कॉलेज चलाना चाह रहे हैं जो सही नहीं है। समिति पदाधिकारी आए मीडिया के सामने BSA डिग्री कॉलेज प्रबंध समिति और श्री अग्रवाल शिक्षा मंडल के पदाधिकारी मीडिया के सामने आए। समिति के चेयरमैन एडवोकेट उमाशंकर अग्रवाल ने बताया कि प्राचार्य ललित मोहन शर्मा की एकल कार्य प्रणाली ठीक नहीं है। उनके द्वारा पिछले 4 वर्ष से की जा रही कार्यवाही ने कॉलेज को लचर बना दिया है। प्रबंध समिति व श्री अग्रवाल शिक्षा मंडल के पदाधिकारियों ने प्राचार्य ललित मोहन शर्मा की योग्यता पर भी सवाल खड़े किए हैं। पदाधिकारियों ने कहा प्रिंसिपल ने अनुमोदन न मिलने पर बाहरी लोगों का पैसा लगाया जबकि कॉलेज पर पैसे की कोई कमी नहीं थी। कॉलेज में नहीं करने दी बैठक स्थानीय एक होटल में मीडिया से मुखातिब हुए पदाधिकारियों ने कहा कि अनुमोदन के बाद BSA कॉलेज में एकल संचालन खत्म हो गया। विश्व विद्यालय द्वारा अनुमोदन करने के बाद भी प्रबंध समिति को कॉलेज में बैठक तक नहीं करने दी जा रही। समिति ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से की है,कुलपति को पत्र भेजा है। इसके साथ ही बैंक खातों से एकल संचालन रोकने के लिए बैंक में भी पत्र भेजा गया है। 10 संस्थाओं का कर रहे संचालन BSA इंजीनियरिंग कॉलेज के चेयरमैन उमाशंकर अग्रवाल ने बताया श्री अग्रवाल शिक्षा मंडल दस शैक्षणिक संस्थान का संचालन कर रहा है। सभी की समिति बनी हुई है। कहीं किसी प्रकार की दिक्कत नहीं है। केवल BSA डिग्री कॉलेज में 4 साल से विवाद बनाया गया है। प्राचार्य कॉलेज पर अपना और अपने सहयोगियों का आधिपत्य चाहते हैं। वह 4 अरब के घोटाले का आरोप लगाते हैं,एक भी रुपया अगर गलत खर्च किया है तो कानून सजा देगा। उन्होंने कहा अनुमोदन न होने का फायदा उठाकर प्राचार्य ने अधिपत्य कर लिया। प्राचार्य केवल एकेडमिक काम कर सकते हैं,प्रबंधन का काम प्रबंध समिति का होता है। लेकिन उन्होंने अधिकारों का दुरुपयोग किया। अधिकारों को खिसकता देख हो रहे आग बबूला श्री अग्रवाल शिक्षा मंडल के मंत्री किशोर अग्रवाल ने बताया कि अनुमोदन होने के बाद प्राचार्य अपने अधिकारों को खिसकता देख आग बबूला हो रहे हैं। वह किसी भी तरह कॉलेज पर अपना राज रखना चाहते हैं। जिसके लिए वह कॉलेज के स्टाफ,छात्रों को बहला कर झूठा प्रचार करा रहे हैं। किशोर अग्रवाल ने बताया श्री अग्रवाल शिक्षा मंडल ने कोई अनियमितता नहीं की और न किसी जमीन की खरीद फरोख्त की। BSA कॉलेज की 14.5 एकड़ भूमि पर फर्जी पत्र से कब्जा बीएसए कॉलेज मथुरा की लगभग 14.5 एकड़ भूमि को अवैध रूप से अलग करके इंजीनियरिंग कॉलेज के नाम पर उपयोग करने का मामला गंभीर मोड़ ले चुका है। BSA डिग्री कॉलेज के प्राचार्य ने समिति द्वारा लगाए गए आरोपों के जबाव में कहा कि अब यह सिद्ध हो गया है कि जिस सरकारी पत्र का हवाला देकर जमीन अलग की गई थी, वह पत्र पूरी तरह फर्जी था। यह खुलासा उच्च शिक्षा विभाग द्वारा प्रदान किए गए दो महत्वपूर्ण आधिकारिक पत्रों से हुआ है, जिनकी कॉपियां अब सामने आई हैं। बीएसए कॉलेज को केवल फैकल्टी के रूप में इंजीनियरिंग कॉलेज चलाने की अनुमति वर्ष 1999–2000 के इस पत्र में स्पष्ट लिखा है कि—बीएसए कॉलेज की भूमि और भवन का स्वामित्व महाविद्यालय का ही रहेगा। केवल “बीएसए कॉलेज के अंतर्गत फैकल्टी के रूप में” इंजीनियरिंग कॉलेज संचालित किया जा सकता है,भूमि अलग करने या स्वतंत्र इंजीनियरिंग कॉलेज बनाने की कोई अनुमति नहीं थी। इससे स्पष्ट है कि जमीन अलग करना नियम विरुद्ध था। डायरेक्टर हायर एजुकेशन ने RTI में दिया जवाब प्राचार्य ने कहा 19.09.2025 के पत्र में संयुक्त निदेशक (उ.शि.) ने RTI के उत्तर में साफ लिखा है कि 28.10.1999 का पत्र संख्या 10050/52 हमारे अभिलेखों में उपलब्ध नहीं है और न ही हमारे कार्यालय से निर्गत हुआ है। यह आधिकारिक टिप्पणी सीधे संकेत करती है कि—जिस पत्र को आधार बनाकर 14.5 एकड़ भूमि अलग की गई, वह पत्र फर्जी था। दस्तावेजों से यह भी स्पष्ट है कि—फर्जी पत्र दिखाकर जमीन को अलग परिसर के रूप में दर्ज कराया गया,इंजीनियरिंग कॉलेज को स्वतंत्र संस्था की तरह संचालित करना शुरू किया गया,जबकि अधिकृत अनुमति केवल फैकल्टी के रूप में संचालन की थी। यह सामान्य प्रशासनिक त्रुटि नहीं, बल्कि सुनियोजित फर्जीवाड़ा है। जिसमें कॉलेज की करोड़ों की भूमि अवैध रूप से अलग की गई।यह पूरा खेल श्री अग्रवाल शिक्षा मंडल से जुड़े लोगों द्वारा किया गया। उन्होंने शासन और मुख्यमंत्री से उमाशंकर अग्रवाल ,किशोर कुमार कोयले वाला एवं अन्य के खिलाफ SIT / STF जाँच,भूमि पुनर्स्थापन और फर्जी पत्र तैयार करने पर FIR की माँग की ।
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