काशी हिंदू विश्वविद्यालय में स्थित पूर्व आरएसएस संघ भवन को पुनः संचालित किए जाने से संबंधित वाद में सिविल जज (जूनियर डिवीजन) शमाली मित्तल की अदालत ने आदेश जारी करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति के विरुद्ध एक्स-पार्टी (एकतरफा) कार्रवाई का निर्देश पारित किया। वादी प्रमील पाण्डेय की ओर से अधिवक्ताओं गिरीश चंद्र उपाध्याय और मुकेश मिश्रा ने अदालत को अवगत कराया कि प्रतिवादी संख्या 2 के रूप में नामित बीएचयू कुलपति न तो अब तक अदालत में उपस्थित हुए हैं, न कोई प्रतिउत्तर या एफिडेविट प्रस्तुत किया गया है। वादी पक्ष ने तर्क दिया कि इतने गंभीर प्रकरण के बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से कोई प्रतिक्रिया न आना घोर लापरवाही को दर्शाता है। अदालत ने इससे पूर्व कुलपति को अंतिम अवसर देते हुए उत्तर दाखिल करने का निर्देश दिया था। किंतु निर्धारित समय सीमा में कोई जवाब प्रस्तुत न होने पर न्यायालय ने वादी पक्ष की दलीलों और रिकॉर्ड पर उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर एक्स-पार्टी कार्यवाही स्वीकार कर ली। अगली सुनवाई की तिथि 14 दिसंबर 2025 नियत की गई है। अब जानिए क्या है पूरा मामला प्रमील पाण्डेय ने अपने वाद में उल्लेख किया है कि बीएचयू परिसर में वर्ष 1931 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा प्रारंभ हुई थी। तत्पश्चात महामना मदन मोहन मालवीय की पहल पर वर्ष 1937–38 के बीच तत्कालीन प्रति कुलपति राजा ज्वाला प्रसाद के माध्यम से दो कमरों का एक संघ भवन निर्मित कराया गया, जिसे बाद में ‘संघ स्टेडियम’ के नाम से जाना जाने लगा। यह भवन वर्तमान में विधि संकाय परिसर के स्थान पर स्थित था। वादी का दावा है कि आपातकाल के दौरान 22 फरवरी 1976 को उस समय के कुलपति कालूलाल श्रीमाली के कार्यकाल में इस भवन को रातोंरात ध्वस्त करा दिया गया। पाण्डेय ने अदालत से मांग की है कि संघ भवन को पुनः संचालित किया जाए और वहां किसी प्रकार का अवरोध न होने दिया जाए। अदालत में हुई पिछली सुनवाईयों के दौरान भी वादी पक्ष ने यह आरोप लगाया था कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने अब तक कोई लिखित जवाब नहीं दिया है। अब एक्स-पार्टी आदेश के बाद मामला अगले चरण में प्रवेश कर गया है, जिसकी अंतिम स्थिति आगामी सुनवाई में स्पष्ट हो सकती है।
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