काशी हिंदू विश्वविद्यालय में 12 दिसंबर शुक्रवार को 105वाँ दीक्षांत समारोह मनाने जा रहा है। मुख्य कार्यक्रम प्रातः 11 बजे प्रारंभ होगा, जिसमें कुल 13,650 डिग्रियाँ प्रदान की जाएँगी। इस अवसर पर डॉ. विजय कुमार सारस्वत, सदस्य नीति आयोग और जेएनयू के कुलाधिपति, मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। कुलपति प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी ने कहा – यह दिन विद्यार्थियों के लिए केवल शैक्षणिक उपलब्धि का औपचारिक समापन नहीं, बल्कि उनके जीवन की नई यात्रा का शुभारंभ भी है। कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय इस बार मंच से 29 पदक प्रदान करेगा, जिनमें 2 चांसलर पदक, 2 स्वर्गीय महाराजा विभूति नारायण सिंह स्वर्ण पदक और 29 बीएचयू पदक शामिल हैं। उन्होंने यह भी बताया कि बीएचयू अपने विद्यार्थियों को न केवल शैक्षणिक उत्कृष्टता बल्कि मजबूत नैतिक मूल्यों से संपन्न करने पर गर्व महसूस करता है। अब जाने कितनी डिग्री मिला इस वर्ष बीएचयू 7,364 स्नातक, 5,459 स्नातकोत्तर, 712 पीएचडी, 4 एम.फिल, और डॉक्टर ऑफ साइंस की उपाधियाँ प्रदान करेगा। चिकित्सा संकाय में डॉक्टर ऑफ साइंस की डिग्री प्रदान की जाएगी। कुल मिलाकर विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों और संस्थानों में 554 पदक वितरित किए जाएँगे। मुख्य समारोह के बाद 12 से 14 दिसंबर तक परिसर के विभिन्न संस्थानों में उपाधि वितरण कार्यक्रम आयोजित होंगे, जिनमें विशिष्ट शिक्षाविद और अतिथि उपस्थित रहेंगे। 99 के साथ विज्ञान संस्थान बना दूसरा सबसे बड़ा मेडल प्राप्तकर्ता सबसे ज्यादा कला संकाय को 115 मेडल दिए जाएंगे। इनमें 112 गोल्ड और तीन सिल्वर मेडल शामिल हैं। इसके बाद दूसरे स्थान पर विज्ञान संस्थान है। संस्थान के मेधावियों को 99 गोल्ड मेडल दिए जाएंगे। मेडिसीन, आयुर्वेद और दंत संकाय के हिस्से 68 गोल्ड मेडल, सामाजिक विज्ञान संकाय के हिस्से 44, विधि संकाय के 31, कृषि संकाय के 30, संगीत एवं मंच संकाय के 26, कॉमर्स के 22, संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के 16, दृश्य कला संकाय के 13, मैनेजमेंट स्टडी के 11, शिक्षा संकाय के 9, पर्यावरण संस्थान के दो और विज्ञान एवं एनिमल हस्बैंड्री के हिस्से में एक गोल्ड मेडल आया है। अब जानिए मुख्य अतिथि डॉ. वी. के. सारस्वत आशंका परिचय मुख्य अतिथि डॉ. वी. के. सारस्वत देश के प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों में से एक हैं, जिन्होंने भारत के स्वदेशी मिसाइल कार्यक्रमों को नई दिशा दी है। वे डीआरडीओ के सचिव, नीति आयोग के सदस्य, तथा कई प्रमुख राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी मिशनों के मार्गदर्शक रह चुके हैं। उनके नेतृत्व में पृथ्वी, धनुष, प्रहार और अग्नि-5 जैसी मिसाइलें विकसित हुईं। इसके अलावा बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम, तेजस लड़ाकू विमान और परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत की प्रारंभिक संचालन स्वीकृति भी उनके योगदान का परिणाम है। वैकल्पिक ऊर्जा, सुपरकंप्यूटिंग, सिलिकॉन फोटोनिक्स, भारतीय माइक्रोप्रोसेसर और मेथनॉल अर्थव्यवस्था जैसे क्षेत्रों में भी उनका उल्लेखनीय योगदान रहा है। उन्हें पद्मश्री और पद्मभूषण से सम्मानित किया जा चुका है।
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