गाजियाबाद में टीचर दीपशिखा (40) की हत्या कर दी गई। कसूर सिर्फ इतना था कि उन्होंने किरायेदार पति-पत्नी से किराया मांगा था। 6 महीने में 90 हजार रुपए बकाया हो गया था। दीपशिखा के हाथ महिला ने पकड़े, पति ने गले में फंदा कस दिया। चिल्ला न सके, इसलिए उनके मुंह में चुनरी ठूंस दी। पत्नी ने प्रेशर कुकर दीपशिखा के सिर पर इतनी तेज मारा कि उनका गले की हड्डी टूट गई। हत्या करने के बाद लाश को लाल रंग के सूटकेस में भर दिया। फेंकने के लिए 500 रुपए में ऑटो बुक किया। सोसाइटी के नीचे आए, मगर दीपशिखा की मेड ने उन्हें देख लिया। इसके बाद दंपती भाग नहीं पाए। अपने फ्लैट F-506 में उन्हें लौटना पड़ा। पकड़े जाने के डर से उन्होंने लाश वाला सूटकेस अपने बेडरूम के बेड बॉक्स में छिपा दिया। मगर दीपशिखा के परिवार के लोग उनके फ्लैट पर पहुंच गए। घर की तलाशी लेने पर वो सूटकेस मिल गया, जिसमें लाश रखी हुई थी। पुलिस ने दंपती को अरेस्ट किया है। दीपशिखा की मां रोते हुए बोलीं- बेटी सिर्फ किराया मांगने ही तो गई थी। नहीं देना था, तो न देते…। मगर जान लेने की क्या जरूरत थी। इन्हें फांसी की सजा होनी चाहिए। वहीं, हत्या करने वाले अजय और उसकी पत्नी आकृति ने कहा- कोई हमारे फ्लैट पर आकर हम पर हाथ उठाएगा, ये बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे। इसलिए मार दिया। दोनों ने मिलकर मारा है, आप हमें अरेस्ट कर लीजिए। अजय और आकृति ने ये प्लानिंग कैसे की? क्या इस मर्डर में कोई भी शामिल था? क्या सिर्फ किराया मांगने पर ये हत्या की गई? ये जानने के लिए दैनिक भास्कर टीम ने केस से जुड़े अधिकारियों से बात की। पढ़िए रिपोर्ट… सोसाइटी और कारोबारी परिवार को जानिए दीपशिखा के पति का हरियाणा में बिजनेस, बेटी की गुरुग्राम में जॉब
गाजियाबाद के सिहानीगेट इलाके के काइमेरा सोसाइटी में रहने वाले उमेश शर्मा बिजनेसमैन हैं। इनकी पत्नी दीपशिखा शर्मा (40) गाजियाबाद शहर के कविनगर इलाके में एक प्राइवेट स्कूल में टीचर थीं। उनकी इकलौती बेटी है, वह गुरुग्राम में जॉब कर रही है। उमेश गाजियाबाद में अपने घर पर 20–30 दिन में एक बार ही आ पाते हैं। कारोबार की व्यस्तता के चलते वह ज्यादातर हरियाणा के फरीदाबाद में रहते थे। इस सोसाइटी में उमेश शर्मा के दो फ्लैट हैं, एक फ्लैट जुलाई, 2025 को अजय गुप्ता और उसकी पत्नी आकृति को किराए पर दिया था। किराया तय हुआ 18 हजार रुपए महीना। फ्लैट किराये पर देते हुए एडवांस में किराया नहीं लिया गया था। अजय और आकृति ने फ्लैट में शिफ्ट होने के बाद कभी किराया नहीं दिया। दीपशिखा का अजय से बकाएदारी पर झगड़ा हुआ
उमेश कारोबार में व्यस्त रहते थे, इसलिए किराये के लिए दीपशिखा हर महीने अजय को कॉल करके किराया देने के लिए कहती। हर बार अजय कोई न कोई बहाना बता देता। नवंबर में दीपशिखा के नाराज होने पर अजय से झगड़ा भी हुआ था। दीपशिखा परेशान होकर रिश्तेदार और पड़ोसियों से इस बारे में बता चुकी थीं। टावर में रहने वाले दूसरे परिवारों ने पुलिस को बताया कि दीपशिखा जब भी हम लोगों से मिलती थीं। कहती- फ्लैट किराये पर देकर गलती कर दी। न तो किरायेदार घर खाली कर रहे हैं, न ही किराया दे रहे हैं। आए दिन झगड़े हो रहे हैं। 17 दिसंबर यानी मर्डर वाली रात की कहानी…. आकृति ने कॉल किया, दीदी किराया लेने आ जाइए
किरायेदार आकृति गुप्ता ने शाम 7 बजे दीपशिखा को काल किया। कहा- दीदी, आप अभी फ्लैट पर आ सकती है क्या? हमने कुछ रुपए अरेंज किए हैं। आप ले लीजिए, बचे हुए रुपए भी जल्दी दे देंगे। दीपशिखा काइमेरा सोसाइटी के टावर-M के फ्लैट नंबर 105 में रहती थीं। उन्होंने जो फ्लैट किराये पर दिया था, वो टावर-F में 506 नंबर था। 7.30 बजे वो फ्लैट-506 पर पहुंच गईं। यहां अजय और आकृति पूरी प्लानिंग कर चुके थे। आकृति ने कहा- दीदी आप बेडरूम में चलिए, वहीं रुपए रखे हैं। अजय ने मेन गेट को अंदर से लॉक कर लिया। दोनों दीपशिखा को बेडरूम में लेकर पहुंचे। दीपशिखा ने हाथ पकड़े, बोली- तुम्हें हम गरीबों का दर्द नहीं दिखता
यहां आकृति ने दीपशिखा के दोनों हाथ पकड़ लिए। कहा- तुम्हें सिर्फ रुपए दिखते हैं, गरीबों का दर्द नहीं दिखता। अब तुम्हारा हिसाब चुकता कर देते हैं। पीछे खड़े अजय ने दीपशिखा के मुंह में चुनरी ठूंस दी, इसलिए दीपशिखा की चीख नहीं पाईं और उनका दम घुटने लगा। दीपशिखा छटपटाते हुए फर्श पर गिर पड़ीं। वह बचने के लिए हाथ-पैर मारने लगीं। आकृति ने उनके दोनों हाथ पकड़ लिए। अजय ने उनका गला घोंटना शुरू कर दिया। दीपशिखा की सांस पूरी तरह से टूटी नहीं थी, आकृति किचन से कुकर उठा ले आई और सिर पर एक–एक करके कई वार कर दिए। पोस्टमॉर्टम में दीपशिखा की गर्दन की हड्डी इसलिए टूटी हुई मिली है। अब लाश को ठिकाने लगाते हुए पकड़े जाने की कहानी सूटकेस में बॉडी नहीं आई, तो हाथ-पैर तोड़कर भर दिया
पति-पत्नी ने पहले ही सोच लिया था कि दीपशिखा को मारने के बाद लाश का क्या करना है, उन्होंने लाल रंग के एक सूटकेस को खाली करके रखा हुआ था। दीपशिखा की बॉडी को उस सूटकेस में भरने की कोशिश करने लगे। जब बॉडी नहीं आई तो हाथ-पैर तोड़ दिए। घुटनों के पास से दोनों पैरों को भी तोड़कर मोड़ दिया। लाश को सूटकेस में रखकर चेन बंद कर दी। अजय सूटकेस को किसी नाले में फेंकना चाहता था। इसलिए एक ऑटो को बुक करके बुला लिया था। रात में करीब 11 बजे वो लोग सूटकेस लेकर लिफ्ट से नीचे आ गए। ऑटो में बैठ ही रहे थे कि दीपशिखा की मेड मिनी वहां पहुंच गई। ऑटो पर बैठते नौकरानी ने पकड़ा, बोली- दीदी नहीं मिल रही
जब रात के 11 बजे तक दीपशिखा नहीं आईं, तो मिनी अजय के फ्लैट पर पहुंची, देखा कि दोनों वहां नहीं हैं, मालूम हुआ कि ऑटो से दोनों कहीं जा रहे हैं। मिनी लिफ्ट से तेजी से नीचे आई। उसने आकृति से पूछा- आज दीदी (दीपशिखा) आपके फ्लैट पर आई थीं, उसके बाद से उनका मोबाइल बंद जा रहा था। फिर उसने लाल सूटकेस देखकर पूछा- आप लोग कहां जा रहे हैं? आकृति ने कहा- हम शॉपिंग करने जा रहे हैं। तब मिनी ने कहा कि आप लोग कैसे हैं? यहां दीदी मिल नहीं रही हैं, आपको शॉपिंग की पड़ी है। इस वक्त तक पड़ोस में रहने वाली महिला राजेश वहां आ गईं। डायल-112 पर कॉल की गई। इसके बाद मिनी ने अजय और आकृति से कहा कि आप दोनों पहले फ्लैट पर चलिए। दीदी को ढूंढने में मदद करिए। जब अजय और आकृति अपने फ्लैट पर पहुंचे तो मिनी ने गेट पर बाहर से लॉक लगा दिया। पुलिस ने बेड के अंदर से बॉक्स निकाला
रात में करीब 12.30 बजे पुलिस आ गई। अजय भी समझ गया कि मेड और पड़ोसी उन पर शक कर रहे हैं, इसलिए अजय ने बेड के बाक्स में लाश वाला सूटकेस रखकर ऊपर से कपड़े लगा दिए। पुलिस आने के बाद अजय और आकृति से पूछताछ हुई। दोनों ने कहा- दीपशिखा 7.30 बजे आईं थी। 8 बजे वह किराया लेकर वापस चली गईं थीं। इसके बाद वह कहां गई़? ये हमें नहीं पता। इतने में गुस्से में मिनी ने कहा- वो सब तो ठीक है, मगर जिस सूटकेस को लेकर आप लोग शॉपिंग करने जा रहे थे, वो कहां है? दिखाई नहीं दे रहा है…। पुलिस ने इसके बाद पूरे फ्लैट की तलाशी ली। बेड के अंदर से लाल सूटकेस मिल गया। उसमें दीपशिखा की लाश मिल गई। अजय ने बयान दिया ट्रांसपोर्ट का बिजनेस तबाह हुआ, दाने-दाने को मोहताज थे अजय ने कहा- मेरा ट्रांसपोर्ट का बिजनेस है, हमारे एक बेटा–एक बेटी थे, मगर बीमारी की वजह से दोनों की पहले ही मौत हो चुकी है। हम परेशान थे, एक तांत्रिक से मिले। उसने कहा कि तुम्हें बच्चे नहीं हो सकते। तांत्रिक ने हापुड़ के पास इलाज कराने भी भेजा। इस सबकी वजह से बिजनेस पर बहुत ध्यान नहीं दे सके। इसकी वजह से घाटा होता चला गया। यही वजह है कि दीपशिखा के फ्लैट को किराये पर लेने के बाद उसका किराया नहीं दे सके। यहां आने से पहले भी विजयनगर के जिस सोसाइटी में रहते थे, वहां भी 1 साल का किराया नहीं दे सके थे। आकृति ने बयान दिए आकृति ने कहा- कोई हमारे घर पर आकर मेरे पति पर हाथ उठाए, मेरे ऊपर हाथ उठाए, ये कैसे बर्दाश्त करेंगे? मेरे पति ने अकेले दीपशिखा को नहीं मारा है। हम दोनों ने मिलकर मारा है। ये दीपशिखा 1 महीने से हम लोगों को टॉर्चर कर रही थी। हम परेशान हो गए थे। हमने तो सिर्फ पैसा नहीं दिया था, वो लोग तो अमीर हैं, हम गरीब हैं, हम उनकी जिंदगी बिगाड़ नहीं रहे थे। हमें इसने (दीपशिखा) इतना परेशान कर लिया कि हम बता नहीं सकते हैं। अब दीपशिखा की मां का दर्द मर्डर की बात फैलने के बाद दीपशिखा की मां सुमित्रा और उनके भाई मनीष भी पहुंचे। मां बिलखते हुए कहती हैं- मेरी बेटी का क्या कसूर था? अगर किराया नहीं देना तो मारा क्यों? मेरी बेटी के साथ कितना बुरा किया, उसने क्या बिगाड़ा था…ऊपर वाला तुम्हें माफ नहीं करेगा। ऐसे लोगों को फांसी होनी चाहिए। भाई ने बताया- बहन से 16 दिसंबर को आखिरी बात फोन पर बात हुई थी। मेरी बहन टीचर थीं, भाईसाहब ने भी कभी कुछ नहीं कहा। पता नहीं किराए को लेकर क्यों हत्या कर दी, ये समझना थोड़ा मुश्किल है। हत्या का प्लान और वो चूक पढ़िए, जिससे पकड़े गए एडिशनल पुलिस कमिश्नर आलोक प्रियदर्शी ने कहा- किराए को लेकर पति पत्नी ने हत्या की है। पुलिस ने आरोपियों को अरेस्ट करके शव बरामद किया। जिसमें दोनों को कोर्ट में पेश करके जेल भेज दिया। दोनों ने अपना जुर्म कबूल किया है। …………. ये भी पढ़े- हिस्ट्रीशीटर का आखिरी VIDEO, सीसीटीवी में दिखे शूटर:दोस्त रहे दो गैंगस्टरों में छिड़ी थी गैंगवार, प्रयागराज में बदले की आग में 5 गोली मारी प्रयागराज में हिस्ट्रीशीटर अफसर अहमद को सड़क घेरकर पांच गोली मारी गई। शूटरों ने दो गोली सिर, दो पेट और एक पैर में मारी। गैंगस्टर हत्याकांड के बाद पुलिस टीमों ने सीसीटीवी खंगाले तो अफसर के पीछे लगे शूटर नजर आए हैं। इतना तो साफ है कि हिस्ट्रीशीटर की हत्या के लिए रेकी और प्लानिंग की गई। पढ़िए पूरी खबर…
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