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700 करोड़ खर्च, फिर भी नया रूट सूना:वंदे भारत पुराने ट्रैक पर ही दौड़ेगी, ऐशबाग–पीलीभीत नए ब्रॉडगेज सेक्शन को नहीं मिली प्रमुख ट्रेनें

ऐशबाग से पीलीभीत होते हुए दिल्ली के लिए नया रेल मार्ग तैयार तो कर लिया गया, लेकिन इस पर प्रमुख ट्रेनों का संचालन अभी तक शुरू नहीं हुआ है। यात्रियों की उम्मीदों के विपरीत रेलवे ने पुराने सेक्शन को ही नई ट्रेनों का फायदा दिया है। नतीजा यह कि लखीमपुर, गोला, पीलीभीत, मैलानी और आस-पास के जिलों के हजारों यात्री सुविधाओं से वंचित हैं। हाल ही में शुरू की गई सहारनपुर वंदे भारत एक्सप्रेस भी इसी पुराने रास्ते—सीतापुर और बरेली—के जरिए चलाई जा रही है। 700 करोड़ खर्च, लेकिन रूट को अब भी प्रतीक्षा पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल का ऐशबाग–पीलीभीत रेलखंड पहले मीटरगेज था। वर्ष 2016 में इसे ब्रॉडगेज व विद्युतीकरण के लिए आरवीएनएल (रेल विकास निगम लिमिटेड) ने काम शुरू किया। पूरा प्रोजेक्ट लगभग 700 करोड़ रुपये की लागत से पूरा हुआ। इसके बावजूद यह आधुनिक और तेज रफ्तार ट्रेनों का इंतजार कर रहा है। रेलवे की ओर से फिलहाल इस सेक्शन पर केवल गोरखपुर–मैलानी एक्सप्रेस और कुछ पैसेंजर ट्रेनों का ही संचालन हो रहा है। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि रूट आवंटन का अधिकार रेलवे बोर्ड के पास है, और वही अंतिम निर्णय लेता है। वंदे भारत को नए रूट पर चलाने की थी उम्मीद नया रूट इस तरह डिजाइन किया गया कि लखनऊ से सहारनपुर चलने वाली वंदे भारत ट्रेन को सीतापुर–लखीमपुर–गोला–मैलानी–पीलीभीत होते हुए भेजा जा सके। यदि ऐसा किया जाता तो इन क्षेत्रों के यात्रियों को पहली बार वंदे भारत जैसी प्रीमियम सेवा का लाभ मिलता। लेकिन ट्रेन को सीधे पुराने सेक्शन पर भेजने का निर्णय स्थानीय यात्रियों की उम्मीदों पर पानी फेर रहा है। शताब्दी और डबलडेकर भी नहीं हुई शिफ्ट ऐशबाग–पीलीभीत नए रूट पर दिल्ली के लिए शताब्दी और डबलडेकर ट्रेन चलाने की योजना भी बनाई गई थी। यह कदम रूट के रेलवे स्टेशनों पर बड़ा बदलाव ला सकता था। लेकिन यह प्रस्ताव सिर्फ फाइलों तक ही सीमित रहा। नतीजा यह कि यात्रियों को आज भी VIP ट्रेनों में सफर के लिए लखनऊ ही आना पड़ता है। वंदे भारत का संचालन टला, शेड्यूल पर दोबारा विचार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को सहारनपुर वंदे भारत एक्सप्रेस का वर्चुअल शुभारंभ किया था। लेकिन ट्रेन अभी तक नियमित रूप से दौड़ नहीं पाई है। सूत्र बताते हैं कि रेलवे इसके समयसारिणी में बदलाव पर विचार कर रहा है। पहले इसे सुबह लखनऊ से चलाने की योजना थी, लेकिन अब प्रस्ताव है कि ट्रेन सुबह सहारनपुर से रवाना हो और शाम को लखनऊ पहुंचे। इसी वजह से संचालन में देरी हो रही है। स्थानीय यात्री क्या कहते हैं? नए रूट पर 700 करोड़ के निवेश के बावजूद ट्रेनों का ना चलना यात्रियों में गहरी नाराजगी पैदा कर रहा है। लोगों का कहना है कि जब आधुनिक ट्रैक तैयार है, तो वंदे भारत, शताब्दी जैसी ट्रेनें उसी रूट पर क्यों नहीं भेजी जा रहीं?


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