हापुड़ के अलग–अलग बैंकों में 46.26 करोड़ रुपये वर्षों से निष्क्रिय बैंक खातों में बंद पड़े हैं। इनमें कई खाते ऐसे हैं जिनके मालिक अब इस दुनिया में नहीं रहे, कई परिवार पलायन कर चुके हैं, तो कई खाताधारक लंबे समय से बैंकिंग सिस्टम से कट चुके हैं। नतीजा—करोड़ों रुपये असली वारिसों तक पहुंच ही नहीं पाए। इसी बड़ी समस्या के समाधान के लिए डीएफएसएफ (जिला वित्तीय सेवाएं विभाग) ने पूरे जिले में “आपकी पूंजी, आपका अधिकार” अभियान शुरू किया है, ताकि यह राशि सही हकदारों तक पहुंच सके। LDM (लीड डिस्ट्रिक्ट मैनेजर) के मुताबिक, जिले के सभी बैंकों ने अपने स्तर पर उन खाताधारकों की सूची तैयार कर ली है जिनके खातों में अदावाकृत (Unclaimed) राशि पड़ी हुई है। -बैंकों को निर्देश दिया गया है कि वारिसों के पते पर नोटिस भेजकर सूचना दें -खाताधारक या उनके उत्तराधिकारी बैंक में दावा प्रस्तुत कर सकें -वर्षों से बंद पड़े खातों को दोबारा सक्रिय या निस्तारित किया जा सके अधिकारी मानते हैं कि कई परिवारों को पता ही नहीं है कि उनके नाम पर या किसी दिवंगत सदस्य के खाते में लाखों रुपए पड़े हैं। अभियान को सफल बनाने के लिए जिला प्रशासन और बैंक मिलकर विशेष शिविरों का आयोजन कर रहे हैं। इन शिविरों में -मृतक खाताधारकों के कागजात की जांच -वैध वारिसों का सत्यापन -स्थल पर ही निस्तारण की प्रक्रिया -पात्र व्यक्ति को अदावाकृत राशि जारी करने की कार्रवाई बैंक अधिकारी मौके पर दस्तावेज जांचकर तुरंत प्रक्रिया आगे बढ़ाएंगे, ताकि लोगों को शाखाओं के चक्कर न लगाने पड़ें। 5 दिसंबर को बड़ा शिविर इस पहल के तहत सबसे महत्वपूर्ण शिविर 5 दिसंबर को आयोजित किया जा रहा है। इस शिविर में उन खातों के दावे निस्तारित किए जाएंगे जिनमें राशि सालों से अटकी हुई है और जिनके वारिसों का पता नहीं चल पाया है। कौन-कौन से दस्तावेज जरूरी? दावा प्रस्तुत करने के लिए व्यक्ति को साथ लाने होंगे— -पहचान पत्र -आधार कार्ड -बैंक पासबुक -मृतक प्रमाण पत्र (यदि खाताधारक दिवंगत हो) -उत्तराधिकार प्रमाण पत्र साथ ही, जिन लोगों को संदेह है कि उनके परिवार के किसी सदस्य के खाते में पैसा हो सकता है, वे भी शिविर में पहुंचकर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। प्रशासन ने जनता से अपील की है कि कोई भी व्यक्ति इस अवसर को न चूके।कई परिवारों को लाखों रुपये का लाभ मिल सकता है—बस दावा समय पर होना चाहिए। अभियान का उद्देश्य स्पष्ट है—जो पूंजी आपकी है, वह आपके पास पहुंचे। बैंक में यूं ही बंद न रहे।” यदि चाहें, मैं इस खबर का संक्षिप्त संस्करण, सोशल मीडिया पोस्ट, या ग्राफिक लेआउट पॉइंट्स भी तैयार कर सकता हूँ।
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