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42 साल पुराने हत्याकांड में तीन गिरफ्तार:धरैरा में कुल्हाड़ी से की थी पूरे परिवार की हत्या, जमीन विवाद और प्रधानी चुनाव बना था कारण

आगरा जिले के एत्मादपुर थाना क्षेत्र के धरैरा गांव में 42 साल पहले हुए दिल दहला देने वाले हत्याकांड में पुलिस ने 39 साल बाद तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। शनिवार को तीनों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। सभी आरोपियों की उम्र 60 साल से ज्यादा बताई जा रही है। पूरा परिवार कुल्हाड़ी से खत्म कर दिया गया था यह घटना 3 अगस्त 1983 की है। धरैरा गांव निवासी किसान सुख स्वरूप (25), उनकी मां कटोरी देवी (50), पत्नी राजवती (23), बेटे श्याम (7) और बेटी कल्लो (2) की घर में घुसकर कुल्हाड़ी से बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। हमले में घर के नौकर और बाबा को भी गंभीर रूप से घायल कर दिया गया था। जमीन विवाद और चुनावी रंजिश बनी वजह पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, सुख स्वरूप का अपने चाचा कुंवरपाल सिंह से पुश्तैनी जमीन को लेकर विवाद चल रहा था। उसी साल गांव में प्रधानी चुनाव होने थे। कुंवरपाल सिंह अपने पक्ष से चुनाव की तैयारी कर रहे थे, जबकि सुख स्वरूप ने अपनी मां कटोरी देवी को चुनाव लड़ाने का एलान कर दिया था। इसी को लेकर दोनों परिवारों के बीच रंजिश और बढ़ गई थी। कोई नहीं बचा, पुलिस बनी वादी घटना के बाद ऐसा कोई नहीं बचा था जो रिपोर्ट दर्ज करवा सके। ऐसे में एत्मादपुर थाने के सिपाही रामपाल सिंह वादी बने और अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया गया। जांच के दौरान पुलिस को साक्ष्य मिले और आठ आरोपियों के नाम सामने आए। आठ आरोपी, आजीवन कारावास की सजा जांच में कुंवरपाल सिंह के छह बेटे मंजू सिंह पाल, अजय पाल, रामपाल, कैशपाल, राजपाल, सज्जन पाल, गज सिंह का बेटा सुमरपाल और नौकर मानिकचंद बघेल के नाम सामने आए। पुलिस ने सभी को गिरफ्तार कर जेल भेजा। 4 सितंबर 1983 को चार्जशीट दाखिल की गई। 28 मार्च 1985 को कोर्ट ने सभी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। हाईकोर्ट से जमानत, फिर हुए फरार हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान सभी आरोपियों को जमानत मिल गई। बाद में मंजू सिंह पाल, अजय पाल, रामपाल, कैशपाल और सुमरपाल की मौत हो गई। जमानत पर बाहर आए राजपाल, सज्जन पाल और मानिकचंद फरार हो गए। वारंट और कुर्की के बाद गिरफ्तारी तीनों के खिलाफ कोर्ट ने वारंट जारी किए और कुर्की की कार्रवाई भी हुई। हाईकोर्ट के सख्त आदेश के बाद पुलिस पिछले एक साल से उनकी तलाश कर रही थी। आखिरकार 39 साल बाद तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। शनिवार को जेल भेजे गए आरोपी शनिवार को तीनों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। पुलिस का कहना है कि कानून से बचकर भागने वाले आखिरकार कानून के शिकंजे में आ ही जाते हैं।


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