प्रयागराज में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत रोजगार सृजन की गति लगातार तेज होती जा रही है। ताजा आंकड़े बताते हैं कि बीते चार वित्तीय वर्षों में जिला प्रशासन ने न केवल निर्धारित लक्ष्यों को पूरा किया है। बल्कि कई बार इन्हें पार करते हुए ग्रामीण परिवारों को बेहतर आजीविका उपलब्ध कराई है। गांवों में आर्थिक स्थिरता और श्रमिकों को समय पर काम देने के लिए मनरेगा एक मजबूत सहारा साबित हुआ है। प्रशासनिक निगरानी, ग्राम पंचायतों की सक्रियता और श्रमिकों की बढ़ती भागीदारी ने मिलकर इस प्रदर्शन को नई ऊंचाई दी है। चार साल में लक्ष्य से बेहतर प्रदर्शन वित्तीय वर्ष 2022–23 में जिले को 63,43,004 मानव-दिवस का लक्ष्य मिला था। जिला प्रशासन ने इसे पार करते हुए 63,59,006 मानव-दिवस सृजित किए। इसके बाद 2023–24 में 70,83,534 मानव-दिवस का अनुमान था। जिसके मुकाबले जिले ने 69,60,760 मानव-दिवस रोजगार उपलब्ध कराया। जिला श्रम अधिकारी गुलाब ने बताया कि इस साल भी कार्यों की रफ्तार धीमी नहीं हुई है। ग्राम पंचायतों के प्रधानों ने योजनाओं को जमीन पर उतारने में अहम भूमिका निभाई है। मजदूरों को समय से काम और भुगतान मिल रहा है। लक्ष्य से कहीं आगे निकला 2024–25 वित्तीय वर्ष 2024–25 में जिले को 51,24,635 मानव-दिवस का लक्ष्य दिया गया था। लेकिन मनरेगा टीम ने उम्मीदों से बेहतर प्रदर्शन करते हुए 61,11,706 मानव-दिवस सृजित किए। यह उपलब्धि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए एक राहत भरी खबर है। चालू वर्ष 2025–26 में भी तेजी जारी चालू वित्तीय वर्ष 2025–26 में अब तक 36,62,353 मानव-दिवस दर्ज किए जा चुके हैं। अधिकारियों का मानना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कामकाज की मांग अभी बनी हुई है और अगले महीनों में यह आंकड़ा और बढ़ने की पूरी संभावना है। मनरेगा की यह निरंतर उपलब्धि बताती है कि ग्रामीण विकास से जुड़े कार्यों पर जमीन पर गंभीरता से काम हो रहा है। जिला प्रशासन का दावा है कि आने वाले समय में और अधिक श्रमिकों को जोड़कर रोजगार सृजन की इस रफ्तार को बरकरार रखा जाएगा।
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