बुलंदशहर में दहेज हत्या के 26 साल पुराने मामले में अदालत ने सख्त फैसला सुनाया है। अतिरिक्त दहेज की मांग को लेकर बहू को प्रताड़ित कर उसकी हत्या करने की दोषी सास को कोर्ट ने 7 वर्ष के सश्रम कारावास और 200 रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई है। यह फैसला फास्ट ट्रैक कोर्ट-03 के न्यायाधीश शिवानंद ने सुनाया है। यह मामला वर्ष 1999 का है और थाना कोतवाली नगर क्षेत्र से संबंधित है। अभियोजन के अनुसार, मोहल्ला सरायधारी, बुलंदशहर निवासी शमीम पत्नी इसरार अहमद ने अपनी बहू को अतिरिक्त दहेज की मांग को लेकर लगातार प्रताड़ित किया था। यह प्रताड़ना इतनी गंभीर हो गई कि अंततः पीड़िता की हत्या कर दी गई। पीड़िता के पिता कलुआ, निवासी स्याना, बुलंदशहर ने 19 जून 1999 को थाना कोतवाली नगर में इस संबंध में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए उसी दिन, यानी 19 जून 1999 को ही न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल कर दिया था। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत में 7 गवाहों की गवाही कराई गई, जिन्होंने अभियोजन पक्ष की कहानी को मजबूती से साबित किया। लंबी सुनवाई के बाद, अदालत ने हाल ही में आरोपी शमीम को दोषी करार दिया। न्यायालय ने उसे 7 वर्ष का सश्रम कारावास और 200 रुपए के अर्थदंड से दंडित किया। इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से अभियोजक ध्रुव कुमार ने प्रभावी पैरवी की। उनकी सशक्त दलीलों और गवाहों की ठोस गवाही के आधार पर ही अदालत ने दोषसिद्धि का आदेश पारित किया।
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