आगरा में 20 साल पुराने धोखाधड़ी और धमकी के मामले में अदालत ने सबूत न होने पर आरोपी कन्हैया लाल को बरी कर दिया। मामले के वादी और एक आरोपी की मौत तथा गवाहों के मुकरने से अभियोजन कमजोर हो गया। विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अचल प्रताप सिंह ने 20 साल पुराने मुकदमे में आरोपी कन्हैया लाल को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि मामले में कोई ठोस सबूत नहीं बचा है। यह मुकदमा वर्ष 2004 में थाना न्यू आगरा में दर्ज हुआ था। वादी एस.के. अग्रवाल ने कन्हैया लाल और हरीश ओबराय पर धोखा-धड़ी, अमानत में ख्यानत और जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया था। मुकदमे की सुनवाई के दौरान सह-आरोपी हरीश ओबराय की मौत हो गई। इसके बाद अदालत ने उसके खिलाफ कार्यवाही समाप्त कर दी। मामले को बड़ा झटका तब लगा जब वादी एस.के. अग्रवाल की भी मृत्यु हो गई। उनकी गवाही रिकॉर्ड नहीं हो सकी, जिससे अभियोजन की स्थिति और कमजोर हो गई। वादी के दो गवाह भी अदालत में अपने पुराने बयान से मुकर गए। गवाहों के मुकरने के बाद केस में कोई पुख्ता सबूत नहीं बचा। कन्हैया लाल के अधिवक्ता राजवीर सिंह ने अदालत में दलील दी कि अब आरोप साबित करने लायक कोई सबूत नहीं है। अदालत ने यह मानते हुए कन्हैया लाल को बरी करने का आदेश दे दिया।
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