प्रयागराज उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (NCZCC) में 1 दिसंबर से शुरू हो रहे दस दिवसीय 32वें राष्ट्रीय शिल्प मेले के शुभारंभ से पहले आज दोपहर 2:00 बजे कलाकारों की भव्य शोभायात्रा निकाली गई। यह आकर्षक शोभायात्रा NCZCC परिसर से प्रारंभ होकर सर्किट हाउस चौराहा, एजी ऑफिस, एकलव्य चौराहा, पत्थर गिरजाघर होते हुए सिविल लाइंस के सुभाष चौराहे तक पहुंची और फिर वापस सांस्कृतिक केंद्र में आकर संपन्न हुई। मार्गभर लोगों ने कलाकारों का उत्साहवर्धन किया, जबकि सुभाष चौराहे पर व्यापार मंडल द्वारा खास स्वागत किया गया। शोभायात्रा में 20 राज्यों के लगभग 650 कलाकारों ने भाग लिया और अपनी-अपनी परंपराओं की रंगपूर्ण झलक प्रस्तुत की। राजस्थान की प्रसिद्ध कच्ची घोड़ी नृत्य शैली ने लोगों का मन मोह लिया, जिसमें महिला कलाकारों ने भी आकर्षक नृत्य प्रस्तुत किया। इसके साथ ही काली स्वांग में मां काली का तांडव दृश्य लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा, जिसमें कलाकार ने आग के गुबार उड़ाकर अद्भुत दृश्य प्रस्तुत किया। नारद मुनि, रावण और आखेटक की पारंपरिक झांकी ने भी दर्शकों को खूब प्रभावित किया। आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों की लोककलाएं शोभायात्रा में देखने को मिलीं। राष्ट्रीय शिल्प मेला हर वर्ष की तरह इस बार भी देश की समृद्ध हस्तकला, खान-पान और सांस्कृतिक विरासत का संगम साबित होगा। मेले में 156 स्टाल लगाए जा रहे हैं, जिनमें 129 स्टाल उत्कृष्ट शिल्प उत्पादों और 27 स्टाल पारंपरिक व्यंजनों के होंगे। इसके अलावा कर्नाटक का सिल्क, मध्य प्रदेश की एंब्रायडरी, जयपुरी रजाइयां, मुरादाबाद का पीतल, पश्चिम बंगाल की धान ज्वैलरी, राजस्थान की स्टोन कार्विंग सहित कई आंचलिक विशेषताएं आकर्षण का केंद्र रहेंगी। मेले के दौरान प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित होंगे। उद्घाटन संध्या में पद्मश्री मालिनी अवस्थी अपनी प्रस्तुति देंगी, जबकि ग़जल गायक भूपेंद्र शुक्ला और कव्वाल युसूफ निज़ामी भी मंच को सजाएँगे। पहली बार थर्ड जेंडर कलाकार भी अपनी प्रस्तुति देंगे। इस वर्ष मेला पॉलिथीन-फ्री रहेगा। कलाकारों की आज की शोभायात्रा ने मेले के माहौल को उत्साह और रंगों से भर दिया, जिससे 10 दिसंबर तक चलने वाले इस आयोजन के प्रति लोगों में खास उत्सुकता दिखाई दे रही है।
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