फिरोजाबाद में एक बैंक कैशियर को 2 करोड़ 85 लाख रुपए के गबन मामले में कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सनाई है। इस मामले में पांच अन्य दोषियों को 10-10 साल का कठोर कारावास और हर एक पर 5-5 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। मामले का ट्रायल फास्ट ट्रैक कोर्ट में चला। 5 महीने में जज ने सभी आरोपियों को दोषी करार देकर सजा सुनाई है। मामला जसराना स्थित इंडियन बैंक का है। इंडियन बैंक में टूंडला के शक्ति नगर के रहने वाले जय प्रकाश सिंह ने इसी ब्रांच मैनेजर रहे राघवेंद्र के साथ मिलकर पूरा घोटाला किया। इसमें ठेकेदार प्रवीन कुमार और उसके पिता कुंवरपाल निवासी गांव भेंडी थाना जसराना, बैंक में संविदा कर्मचारी आकाश मिश्रा पुत्र सहेंद्र सिंह निवासी मोहल्ला कोठीपुरा थाना जसराना, वीर बहादुर पुत्र ओमप्रकाश निवासी शिवनगर कचहरी रोड मैनपुरी, सुखदेव पुत्र छोटेलाल निवासी बालाजीपुरम थाना हाईवे मथुरा भी शामिल हैं। ऐसे करते थे घोटाला एडीजीसी अवधेश शर्मा ने बताया- जांच में पता चला कि बैंक में खाताधारक जो पैसा जमा करने आते थे, वो पैसे उनके खातों में जमा न करके आकाश मिश्रा, वीर बहादुर और मैनपुरी निवासी सौमिल, सुखदेव और नीलेश के खातों में जमा की जाती थी। ग्राहकों को जमा पर्ची दे दी जाती थी। उन्हें बताया जाता था कि पैसे जमा हो गए हैं, सर्वर में गड़बड़ी है तो मैसेज बाद में आएगा। कई ग्राहकों को ये भी कहा जाता था कि पैसा जमा होने का मैसेज नहीं आएगा। पैसे दूसरे खातों में जमा करके ये आरोपी ठेकेदार प्रवीन की फर्म में निवेश कर ब्याज वसूलते थे। जांच में पता चला है कि आरोपियों ने पूरे घोटाले में 91 खाताधारकों को पैसे का गबन किया है। ऐसे पकड़ में आया मामला एडीजीसी के मुताबिक, कुछ ग्राहकों के खाते में पैसे जमा न होने की शिकायत के बाद बैंक का इंटरनल ऑडिट हुआ। जिसमें बैंक में जमा और निकासी का पूरा ब्यौरा निकाला गया। कैशियर के पूरे काम का ऑडिट हुआ। जांच के बाद करोड़ों रुपए की अनियमितता सामने आई थी, जिसके बाद बैंक के एडिशनल जनरल मैनेजर (एजीएम) तरुण विश्नोई ने जसराना थाने में 27 मार्च 2025 को केस दर्ज कराया। पुलिस टीम ने जांच के दौरान बैंक के महत्वपूर्ण दस्तावेज, खातों का विवरण और ग्राहकों के लेन-देन से जुड़े रिकॉर्ड की जांच की। जांच में पता सभी आरोपियों के नाम सामने आए। पुलिस की चार्जशीट में मुख्य आरोपी बैंक के कैशियर जय प्रकाश को ठहराया गया। जबकि बाकी आरोपियों को सुनियोजित तरीके से रकम निकालकर गबन करने में सहयोगी दिखाया गया। 25 जुलाई को शुरू हुई थी सुनवाई इस मामले की सुनवाई 25 जुलाई को शुरू हुई। पुलिस की चार्जशीट के आधार पर अदालत में 9 गवाह प्रस्तुत किए गए। इनमें कुछ ग्राहक और कुछ बैंक अफसर व ऑडिट टीम के बयान हुए। पैरवी और ठोस साक्ष्यों के कारण न्यायालय ने महज 5 महीने के भीतर यह फैसला सुनाया। एडीजीसी अवधेश शर्मा ने बताया – अभियोजन पक्ष ने साक्ष्यों के आधार पर आरोपियों की भूमिका को न्यायालय के समक्ष प्रभावी ढंग से रखा, जिसके चलते दोषियों को कड़ी सजा दिलाई जा सकी। सजा के बाद सभी दोषियों काे जेल भेज दिया गया है।
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