लखीमपुर खीरी में एक दूध की फैक्ट्री में 18 फीट का अजगर घुस गया। उसे देखकर वहां मौजूद लोगों की सांसें फूल गईं। लोगों ने तुरंत दुधवा नेशनल टाइगर पार्क में खबर दी। ठीक आधे घंटे में जींस और जैकेट में एक लड़की पहुंची। 2 मिनट में अजगर को काबू में कर लिया। यह लड़की है 22 साल की नजरून निशा। दुधवा फाउंडेशन में काम करती हैं। जिन जहरीले सांपों और खतरनाक मगरमच्छों को देखकर लोग डर जाते हैं, उसे नजरून मिनटों में पकड़ लेती हैं। लखीमपुर में कहीं भी ऐसे जानवर दिखते हैं, तो नजरून के पास फोन आने लगते हैं। पढ़िए बुर्के से बाहर आकर खतरनाक जीवों के साथ खेलने वाली नजरून की कहानी… पहले 3 तस्वीरें वो रेस्क्यू, जब लगा जान चली जाएगी
दैनिक भास्कर की टीम दुधवा टाइगर नेशनल पार्क पहुंची। हमने नजरून निशा और उनके माता-पिता से बात की। हमारा पहला सवाल था- सबसे मुश्किल रेस्क्यू किसका था? इस पर नजरून थोड़ा सोचती हैं। फिर बताती हैं- मेरे जीवन का सबसे खतरनाक रेस्क्यू एक साथ निकले तीन सांपों का पकड़ना था। तीनों सांप गोरीफांटा की बनिगवा मंडी में एक कपड़े की दुकान में थे। सूचना मिलने पर हम 2 लोग पहुंचे। हमें नहीं पता था कि तीनों खतरनाक स्पेक्टिकल कोबरा हैं। वो गुस्से में थे और बार-बार हमला कर रहे थे। तीनों बार-बार कपड़ों में घुस जा रहे थे। जब भी पकड़ने की कोशिश करो, वो हमला कर देते थे। जगह छोटी थी और कपड़ों से भरी थी। तीनों सांपों को पकड़ने में करीब 7 घंटे लगे। कई बार सांप के अटैक इतने खतरनाक थे कि सिहरन महसूस होने लगी। कई बार लगा कि आज तो जान ही चली जाएगी। इतना खतरनाक पेशा क्यों चुना?
इस सवाल पर नजरून कहती हैं- शुरू से जंगल और जीवों से प्यार था। मैंने इसकी ट्रेनिंग ली है। सांप, अजगर या मगरमच्छ के बस्ती में आने पर लोग हमलावर हो जाते हैं। इससे खतरा दोगुना हो जाता है। सांप भी हमला कर सकता है और इंसान भी। ऐसे में दोनों को बचाना चुनौती है। इन वन्यजीवों को बचाकर मैं उनके प्राकृतिक आवास में छोड़ देती हूं। अभी तक 100 सांप और 10 मगरमच्छ पकड़ चुकीं
नजरून ने रेस्क्यू की शुरुआत 19 साल की उम्र में अपने ही गांव से की थी। पहली बार उन्होंने रसेल वाइपर सांप पकड़ा था। साल- 2022 में दुधवा नेशनल पार्क में प्रेरक के पद पर नौकरी जॉइन करने के बाद उन्होंने दुधवा नेशनल पार्क की तरफ से आयोजित कार्यशाला में रेस्क्यू की पहली ट्रेनिंग ली। इसके बाद समय-समय पर विशेषज्ञों से उनकी ट्रेनिंग होती रही। उन्हें हर महीने 25 हजार रुपए का मानदेय मिलता है। नजरून निशा अब तक 100 से ज्यादा जहरीले सांप और 10 मगरमच्छ पकड़ चुकी हैं। उनकी मौजूदगी से दुधवा के करीबी 50 गांवों के लोग मानसून से लेकर अन्य दिनों में सुकून की नींद लेते हैं। नजरून कहती हैं- पहले सांपों को पकड़ना शुरू किया। अब हिम्मत बढ़ी, तो एक महीने में 10 मगरमच्छों काे पकड़ा। अजगर को पकड़ना चुनौती होती है
नजरून निशा बताती हैं- बारिश के बाद सांप ही नहीं, अजगर भी गांवों तक पहुंच जाते हैं। इन अजगरों को पकड़ना मुश्किल काम है। सांपों को तो किसी तरह छोटे-छोटे उपकरणों से भी पकड़ा जा सकता है। लेकिन, अजगर छिपने का प्रयास करते हैं। ऐसे में उनके लिए खास मेहनत करनी पड़ती है। नजरून अजगर पकड़ने के लिए गांव ही नहीं, शहर में भी बुलाई जाती हैं। नजरून बताती हैं कि सांप के रेस्क्यू में मुख्य रूप से स्नेक कैचर, दस्ताने (ग्लव्स), लॉन्ग बूट और सांप रखने के लिए स्नेक बैग जरूरी होते हैं। फिशिंग और जंगली कैट भी पकड़ा, बाघ के रेस्क्यू में शामिल रहीं
नजरून ने जंगली छिपकली, फिशिंग कैट और जंगली कैट का भी रेस्क्यू किया है। वह 5 टाइगर के रेस्क्यू अभियानों में भी सहायक कर्मचारी के रूप में मौजूद रह चुकी हैं। बेटी को बुर्के में रखने की परंपरा, घर में ही ताने मिले
हमने नजरून की मां जोहरा खातून से भी बात की। वह कहती हैं- हमारे यहां बच्चियों को हिजाब और बुर्के में रखने की परंपरा है। निशा का इस तरह जंगल और जानवरों के लिए जुनून देखकर पहले हम लोग बहुत डर गए थे। घर और बाहर लोगों के ताने भी सुनने पड़े। लेकिन, निशा में जुनून था। उसने जो ठाना, वह किया। अब लोग उसकी खूब तारीफ करते हैं। नजरून निशा के पिता शेर मोहम्मद बताते हैं- बेटी की पढ़ने की इच्छा थी, लेकिन हमारे हालात ठीक नहीं थे। उसके बाद भी बेटी की जिद पर पर मैंने उसे जैसे-तैसे मजदूरी कर पढ़ाया। जब बेटी ने घर से बाहर निकाल कर जंगलों में काम करना चाहा, तो घर-परिवार का बड़ा विरोध झेलना पड़ा। दुधवा के निदेशक डॉ. एच राजा मोहन ने भी उसके काम की तारीफ की है। नजरून तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं। उनकी एक छोटी बहन खुशबू और सबसे छोटा भाई गुलाम मोरीश है। नजरून ने अपनी बेसिक शिक्षा पास के सरकारी स्कूल से की। कक्षा 9 और 10 की पढ़ाई रामलीला बालिका इंटर कॉलेज, पलिया से पूरी की। स्नातक भीरा के स्मृति डिग्री कॉलेज से किया। नजरून आर्ट्स की छात्रा रही हैं और पर्यावरण विषय में उन्हें शुरू से ही गहरी रुचि रही है। ————————– ये खबर भी पढ़िए- ‘मेरी वाइफ को कोई होटल ले जाए, मुझे पसंद नहीं’, VIDEO बनाकर जान दी वाराणसी में एक युवक ने पत्नी की बेवफाई से दुखी होकर जान दे दी। उसका शव फांसी के फंदे पर लटका मिला। मौत से पहले युवक ने बाइक चलाते हुए साढ़े सात मिनट का वीडियो बनाया। युवक ने पत्नी के साथ अपने संबंधों और 498A (दहेज उत्पीड़न) कानून के दुरुपयोग के बारे में बात की। यह भी कहा कि पत्नी का एक लड़के से अफेयर है। वह बेटे से भी नहीं मिलने दे रही है। पढ़ें पूरी खबर
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