गोंडा में मतदाता सूची के संकलन कार्य में लगी महिला बीएलओ और शिक्षामित्रों ने जिस तरह से दिन-रात मेहनत की, वह किसी चुनौती से कम नहीं था। प्रशिक्षण में जो दिशा-निर्देश दिए गए थे, उन्हीं के मुताबिक टीम ने काम को जमीन पर उतारा। लेकिन इस दौरान उन्हें कई ऐसी दिक्कतों से गुजरना पड़ा, जिनका अंदाजा बाहर से लगा पाना मुश्किल है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों का कम जागरूक होना सबसे बड़ी चुनौती साबित हुआ। कई लोग फॉर्म भरने में सक्षम नहीं थे, तो कई बार उन्हें बार-बार समझाना पड़ा। हालात ऐसे बने कि जो लोग फॉर्म नहीं भर पा रहे थे, उनके फॉर्म भी बीएलओ की टीम ने खुद भरकर दिए। 2 से 4 बार हर घर जाना पड़ा गोंडा सदर विधानसभा के बूढ़ादेवर गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय बूथ पर तैनात महिला बीएलओ और शिक्षामित्र नीलम मिश्रा ने बताया कि उन्होंने पूरे काम को सिर्फ 12–13 दिनों में पूरा कर लिया। इस क्षेत्र में कुल 781 वोट दर्ज थे, जिनके लिए टीम ने पहले दो दिन घर-घर जाकर फॉर्म वितरित किए। इसके बाद गांव में कैंप लगाकर फॉर्म भरवाए गए। नीलम ने बताया कि कई बार मतदाताओं को 2 से 4 बार समझाने और उनके घर तक जाने के बाद ही लोग फॉर्म भरने के लिए तैयार हुए। कभी-कभी रात 9 बजे तक करना पड़ा काम नीलम कहती हैं—“दिक्कतें बहुत आईं। गांव वाले जागरूक नहीं थे, सबको बार-बार बताना पड़ता था। कई दिनों में हम रात 9 बजे तक घर लौटे। लेकिन लोगों का सहयोग मिला, तभी काम समय से पहले पूरा हो पाया।” बीएलओ के मुताबिक, सुपरवाइजर और प्रशिक्षण में दिए निर्देशों के हिसाब से ही पूरा काम किया गया। लेकिन फील्ड में हालात उतने आसान नहीं थे। कई बार ग्रामीणों को समझाने में घंटों लग जाते थे। बावजूद इसके टीम ने हार नहीं मानी और फॉर्म भरवाने का लक्ष्य निर्धारित समय से पहले पूरा करके दिखाया। बीएलओ ने बताया कि ग्रामीणों के सहयोग से ही यह बड़ा काम संभव हो पाया।“अगर लोगों का साथ न मिलता, तो यह काम समय पर पूरा होना मुश्किल था। कई घरों में हमें दो-दो बार नहीं, बल्कि चार-चार बार जाना पड़ा। आखिर में सभी ने फॉर्म जमा कर दिया और हमारा काम सफल हुआ।”
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