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13 साल से फरार नक्सली वाराणसी से गिरफ्तार:यूपी एटीएस को मिली कामयाबी, यूपी और बिहार के कई मामलों में थी तलाश

यूपी एटीएस ने प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन सीपीआई (माओवादी) के प्रमुख सदस्य और कई जघन्य नक्सल घटनाओं में शामिल रहे 50 हजार रुपये के इनामी नक्सली को गिरफ्तार करने में बड़ी सफलता हासिल की है। आरोपी सीताराम उर्फ विनय निवासी मुडियारी, थाना मनियर, जिला बलिया का रहने वाला है। उसे वाराणसी के काशी रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया गया। वह पिछले 13 वर्षों से फरार चल रहा था और नाम तथा भेष बदलकर विभिन्न राज्यों में छिपकर रह रहा था। मुखबिरी के शक में कर दी थी ग्राम प्रधान की पत्नी की हत्या एटीएस के अधिकारियों का कहना है कि गिरफ्तार किया गया सीताराम कई प्रमुख घटनाओं में शामिल रहा है। 2012 में बलिया जिले के सहतवार थाना क्षेत्र के गांव अतरडरिया में उसके साथियों ने ग्राम प्रधान मुसाफिर चौहान की पत्नी फूलमती की हत्या कर दी थी। ग्राम प्रधान पर पुलिस मुखबिर होने का शक था और उनकी हत्या की भी योजना थी, लेकिन वे भाग निकले। इस मामले में सीताराम पर हत्या, हत्या के प्रयास, मारपीट व आईपीसी की विभिन्न धाराओं के सज्ञथ साथ 7 क्रिमनल लॉ एक्ट, और 25/27 आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ था। इसी मामले में सीताराम पर आजमगढ़ रेंज के डीआईजी ने 50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था। बिहार के कई जिलों में हत्या व बैंक डकैती के दर्ज हैं मामले इसी तरह 15 अगस्त 2013 को सीताराम अपनी टीम के सदस्यों तारा देवी, लल्लू राम, सत्य प्रकाश यादव, राम मूरत और विनोद साहनी के साथ मीटिंग कर रहा था। इस दौरान उसके साथी गिरफ्तार हो गए और उनसे नक्सल साहित्य तथा हथियार बरामद हुए, लेकिन सीताराम फरार हो गया। इस संबंध में मुकदमा संख्या 09/13 धारा 120बी, 121ए आईपीसी, 13/18/19/20/38/39 यूएपीए एक्ट और 3/25 आर्म्स एक्ट थाना एटीएस लखनऊ में दर्ज हुआ, जिसकी जांच एनआईए कर रही है। सीताराम के खिलाफ़ उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार के मुजफ्फरपुर, बांका और सीतामढ़ी जिलों में भी बैंक डकैती, हत्या, मारपीट और अवैध हथियार रखने जैसे गंभीर मुकदमे दर्ज हैं। एटीएस के अफसरों के अनुसार आरोपी 1986 में घर छोड़कर माले संगठन से जुड़ा था। 1990 में वह सेंट्रल कमेटी का जोनल सेक्रेटरी बना। 2004 में एमसीसी और पीडब्ल्यूजी के विलय के बाद बनी सीपीआई (माओवादी) की स्थापना बैठक में भी वह शामिल हुआ था। उसे जन आंदोलन के माध्यम से संगठन के विस्तार की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वह शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में ओवर ग्राउंड वर्कर्स के साथ बैठकें करता था, जो संगठन के लिए काम करते थे।


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