आगरा में आबकारी अधिनियम एवं धोखाधड़ी के करीब दस वर्ष पुराने मामले में पुलिस और आबकारी विभाग की गंभीर लापरवाही सामने आई है। वर्ष 2015 में नूरी गेट स्थित एक दुकान से 1152 बियर की केन बरामदगी के मामले में अदालत ने साक्ष्यों के अभाव में आरोपियों को बरी कर दिया। थाना एमएम गेट में दर्ज मुकदमे के अनुसार, 8 सितंबर 2015 को आबकारी निरीक्षक सुरेश कुमार को मुखबिर से सूचना मिली थी कि नूरी दरवाजा स्थित बियर की दुकान से बिना यूपी आबकारी होलोग्राम की अवैध बिक्री की जा रही है। सूचना की पुष्टि पर आबकारी एवं पुलिस की संयुक्त टीम ने दुकान पर छापा मारकर 1152 बियर की केन बरामद करने का दावा किया था। इन केनों पर यूपी का होलोग्राम अंकित नहीं था, जबकि नकली होलोग्राम भी बरामद होने की बात कही गई थी। इस दौरान सत्यपाल सिंह, धर्मेंद्र सिंह, नरेश शर्मा, कुशलपाल, दानवीर, जमील और रंजीत को मौके से हिरासत में लेकर उनके खिलाफ आबकारी अधिनियम एवं धोखाधड़ी की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर आरोप पत्र अदालत में भेजा गया। बाद में अन्य आरोपियों की पत्रावली अलग कर दी गई और कुशलपाल पुत्र हीरा सिंह निवासी मलपुरा तथा दानवीर पुत्र डालचंद निवासी सिंगाइच थाना जगनेर का विचारण किया गया। मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष 1152 बियर की केन को अदालत में पेश करने में पूरी तरह विफल रहा। पुलिस ने मालखाना रजिस्टर भी प्रस्तुत नहीं किया। बड़ी संख्या में पुलिस और आबकारी कर्मियों के नाम गवाहों की सूची में होने के बावजूद मात्र तीन गवाहों की ही गवाही दर्ज हो सकी। गवाहों के बयानों में गंभीर विरोधाभास पाए गए, वहीं छापा मारने वाले पुलिसकर्मियों ने आरोपियों को पहचानने से भी इनकार कर दिया। इसके अतिरिक्त आबकारी विभाग यह भी प्रमाणित नहीं कर सका कि संबंधित दुकान का ठेका किसके नाम पर था। साक्ष्यों के पूर्ण अभाव और बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं प्रकाश नारायण शर्मा एवं जय नारायण शर्मा के तर्कों से सहमत होते हुए एडीजे-21 विराट कुमार श्रीवास्तव ने पुलिस एवं आबकारी विभाग की लापरवाही को आधार मानते हुए आरोपियों को बरी करने के आदेश दिए।
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