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10 वर्षीय मासूम ने मगरमच्छ से अपने पिता को बचाया:अब राष्ट्रपति ने दिया सम्मान, वीर बाल दिवस पर आगरा कलेक्ट्रेट में अनाथ बच्चों को मिला सम्मान

एक ओर आगरा कलेक्ट्रेट में वीर बाल दिवस के अवसर पर बच्चों को सम्मानित किया गया, तो वहीं दूसरी ओर दिल्ली में राष्ट्रपति ने जिले के एक बहादुर बच्चे को उसके अदम्य साहस के लिए सम्मानित किया। दोनों आयोजनों में साहस, त्याग और बलिदान की मिसालें सामने आईं और पूरे जिले को गौरवान्वित किया। कलेक्ट्रेट स्थित सभागार में केंद्रीय मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल की अध्यक्षता में वीर बाल दिवस समारोहपूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर गुरु गोविंद सिंह जी के साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की शहादत को नमन किया गया। जनपद के गुरुद्वारों में भी कार्यक्रम आयोजित हुए और “इन पुत्रन के शीश पर वार दिए सुत चार…” जैसी पंक्तियों के साथ वीर गाथाओं का स्मरण किया गया।कार्यक्रम में लखनऊ से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दिल्ली से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रमों का सजीव प्रसारण देखा और सुना गया। कोविड में अनाथ हुए बच्चों को मिला सम्मान केंद्रीय मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत कोविड-19 महामारी में अनाथ हुए बच्चों को उपहार देकर सम्मानित किया। उन्होंने बताया कि जनपद में इस योजना के अंतर्गत 327 बच्चे पंजीकृत हैं। सरकार द्वारा ऐसे बच्चों को प्रतिमाह ₹4,000 की आर्थिक सहायता, निःशुल्क शिक्षा, आवासीय विद्यालयों में प्रवेश, लैपटॉप सुविधा और बालिकाओं के विवाह हेतु ₹1.01 लाख की सहायता दी जा रही है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी के चारों साहिबजादों का बलिदान अद्वितीय है। छोटे साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह (9 वर्ष) और बाबा फतेह सिंह (7 वर्ष) को सरहिंद में जिंदा दीवार में चुनवा दिया गया, जबकि अजीत सिंह और जुझार सिंह ने चमकौर के युद्ध में वीरगति पाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन्हीं वीर बालकों की स्मृति में वीर बाल दिवस मनाने का निर्णय लिया। दिल्ली में जिले के अजय राज को राष्ट्रपति का सम्मान इसी दिन दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में आगरा जिले के झरनापुरा हरलालपुर गांव निवासी किसान वीरभान चाहर के बेटे अजय राज को राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया। अजय ने जुलाई 2025 में चंबल नदी किनारे मगरमच्छ के हमले से अपने पिता की जान बचाई थी। घटना के दौरान वीरभान पानी लेने नदी में उतरे थे, तभी मगरमच्छ ने उन पर हमला कर दिया। पिता की चीख सुनते ही अजय डंडा लेकर दौड़ा और मगरमच्छ के जबड़े पर लगातार प्रहार किए। अजय के साहस से मगरमच्छ ने पिता को छोड़ दिया और नदी में चला गया। इस बहादुरी के लिए अजय को राष्ट्रपति के हाथों सम्मान मिला, जिससे पूरे जिले में गर्व और खुशी का माहौल है। प्रेरणा बना साहस और बलिदान आगरा कलेक्ट्रेट में साहिबजादों के त्याग को नमन और दिल्ली में अजय राज के साहस को सम्मान—इन दोनों आयोजनों ने यह संदेश दिया कि वीरता और बलिदान की परंपरा आज भी जीवित है, और नई पीढ़ी उससे प्रेरणा लेकर आगे बढ़ रही है।


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