हरियाणा के यमुनानगर में हिंदू प्रेमिका की हत्या कर सिर काटने के सनसनीखेज केस में नए खुलासे हुए हैं। पुलिस रिमांड पर चल रहे बिलाल ने बताया कि उसने उमा से रोमांस करने के बहाने कार में कपड़े उतरवाए। उसके बाद गला घोंटा। उसने सोचा था कि कपड़े और सिर नहीं मिलेगा तो लाश की शिनाख्त नहीं होगी। हत्यारोपी प्रेमी ने यह भी कबूला है कि गर्दन काटने के लिए वह घर से ही मीट काटने वाला छुरा छिपाकर लाया था। सोमवार को यमुनानगर उमा के सिर का पोस्टमॉर्टम करवाया गया। उसकी शिनाख्त के लिए उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से उमा का पिता व भाई आए। उन्होंने सिर देखकर यह उमा का होने की शिनाख्त की। हालांकि उनके चेहरे पर कोई भावुकता नहीं दिखी। पिता पवन ने कहा- हमारे लिए तो उमा तभी मर गई थी, जब वो शादी से एक रात पहले घर से भाग गई थी। उमा की शव की पहचान पुख्ता करने के लिए DNA जांच के लिए सैंपल भी लिए गए हैं। बेशक परिजनों ने सोमवार को यमुनानगर सिविल अस्पताल पहुंचकर उमा के कटे हुए सिर की शिनाख्त कर दी है, लेकिन पुलिस द्वारा कोर्ट में सबूत पेश करने के लिए उसके परिवार में से डीएनए जांच के लिए सैंपल लिए हैं। ताकि पक्के तौर पर शिनाख्त कर केस की मजबूती से पैरवी की जा सके। अब जानिए, हत्यारोपी बिलाल ने पुलिस पूछताछ में क्या 3 बातें कबूली… कार के एलॉय व्हील में लगी लाइट से पकड़ी गई कार
बिलाल अपने दोस्त की स्विफ्ट कार मांग कर लाया था। कार के एलॉय व्हील में लाइट लगी हुई थी। यह लाइट कार की पहचान में मददगार साबित हुई और पुलिस आरोपी तक पहुंच पाई। 6 दिसंबर की रात करीब 11ः34 बजे यह पहियों में लाइटों वाली कार अराइयांवाला में टाइल फैक्ट्री के आगे से गुजरी, जो CCTV में कैद हुई। उसके बाद यह कार 11ः40 बजे हथिनीकुंड बैराज से यूपी की ओर जाती सीसीटीवी में कैद हुई। अभी यह कार बरामद नहीं हुई है। लंढौरा बारात लेकर जाने वाला था बिलाल, निकाह रद्द
हत्यारोपी बिलाल निकाल से एक दिन पहले (13 दिसंबर) को पकड़ा गया। उसका निकाह 14 दिसंबर को को लंढौरा निवासी युवती से होना था। ऐसे में जब उसके द्वारा किए गए हत्याकांड के बारे में उसके होने वाले ससुराल में पता चला तो उन्होंने यह रिश्ता तोड़ दिया। ऐसे यह शादी का माहौल मातम में तबदील हो गया। जानिए, क्यों उमा के पिता ने कहा-हमारे लिए बेटी पहले ही मर चुकी… पिता ने कहा-हमने तो उमा को 13 साल पहले मरा मान लिया
दैनिक भास्कर एप से बातचीत में उमा के पिता पवन ने कहा-हमारे लिए तो उमा 13 साल पहले ही मर चुकी थी। आज भी 3 मार्च 2012 की वो रात याद है। जब सहारनपुर के गांव हलालपुर स्थित घर पर उमा की शादी की तैयारियां चल रही थीं। मेहंदी का कार्यक्रम था। अगले दिन कुरुक्षेत्र के शाहाबाद से उसकी बारात आने वाली थी। बारात आने से एक रात पहले घर से भागी
उमा ने शादी के लिए अपनी पसंद की ड्रेस ली थी और हाथों पर अपने होने वाले पति के नाम की मेहंदी भी रचाई। घर पर हलवाई बैठे थे और रिश्तेदारों का तांता लगा हुआ था। उस रात उमा मेहंदी की सभी रस्मों से फुरसत पाकर रात करीब 9 बजे सोने के लिए चली गई। 10 बजे जब उसकी बहन ने कमरे में जाकर देखा तो उमा वहां पर नहीं थी। यह बात सभी रिश्तेदारों में तुरंत फैल गई। उमा को रातभर तलाशा लेकिन वह नहीं मिली। सुबह तक पता चला कि वह गांव के ही एक दिव्यांग जोनी के साथ चली गई थी। उमा के बदले उसकी मामा की बेटी बनी दुल्हन
सुबह बारात उनकी चौखट पर खड़ी थी, लेकिन दुल्हन का कहीं कुछ अता पता नहीं था। ऐसे में उन्होंने मामा की लड़की को दुल्हन बनाकर उमा की जगह बारात के साथ विदा किया। उन्होंने उसी दिन उमा को मरा हुआ समझ लिया था। उस दिन के बाद न तो उससे कभी बात की और न ही उसका चेहरा देखा। अब 13 साल बाद कटा सिर देखने को मिला
पिता ने कहा कि कभी सोचा न था कि 13 साल बाद उन्हें बेटी का कटा हुआ सिर देखने को मिलेगा। वह कटे हुए चेहरे को अपने साथ बेशक ले जा रहे हैं, लेकिन इसका अंतिम संस्कार एक बाप नहीं, बल्कि सिर्फ इंसानियत के नाते ही करेंगे। उमा छह भाई बहनों में सबसे छोटी थी, इसलिए वह सबकी लाडली भी थी। उसकी एक गलती ने उसे परिवार की नजरों में तो गिराया ही, अब उसका खुद का अंत भी बहुत दुखद हुआ। हिंदू संगठन आए, परिजन बोले-बखेड़ा नहीं चाहते
मामला अंतरजातीय होने के चलते सोमवार को उमा के परिजनों से मिलने शहर के हिंदू संगठन के कुछ लोग भी सिविल अस्पताल पहुंचे। लेकिन परिजनों ने साफ तौर पर बोल दिया कि अब वे इसे बेटी नहीं मानते। यह तो उनके लिए तभी मर गई थी, जब वो घर से भागी थी। वे इसके लिए किसी भी प्रकार का संघर्ष नहीं करना चाहते। पिता पवन ने कहा कि बेशक उसने अपनी बेटी को मरा हुआ समझा हुआ था, लेकिन इस प्रकार का नरसंहार करने वाले बिलाल को सख्त सजा होनी चाहिए।
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