उत्तराखंड के चमोली में स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत रहे अरुण कुमार वर्मा के दो मृत्यु प्रमाणपत्रों का मामला सामने आया है। इस प्रकरण में हापुड़ नगर पालिका से जारी एक मृत्यु प्रमाणपत्र को अधिशासी अधिकारी संजय कुमार मिश्रा ने निरस्त कर दिया है। तीन दिन पहले न्यायालय के आदेश पर पालिका अधिकारियों सहित 14 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई थी। उत्तराखंड में हुई थी मौत चमोली जिले की निवासी चंद्रकला वर्मा ने बताया कि उनके पति अरुण कुमार वर्मा की मृत्यु ड्यूटी पर तैनाती के दौरान उत्तराखंड में ही हुई थी। उनका पोस्टमार्टम भी वहीं किया गया था। चंद्रकला के अनुसार, पति की मृत्यु के बाद उनकी सरकारी नौकरी पाने के उद्देश्य से हापुड़ के स्वर्ग आश्रम रोड निवासी मीना वर्मा और अन्य लोगों ने मिलीभगत कर एक फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र हापुड़ से बनवा लिया। चंद्रकला वर्मा ने बताया कि उनके पति का मृत्यु प्रमाणपत्र पहले ही उत्तराखंड से जारी हो चुका था। ऐसे में दो मृत्यु प्रमाणपत्र बनाने के इस मामले में उन्होंने संबंधित अधिकारियों से कार्रवाई की मांग की थी। प्रमाण पत्र किया गया निरस्त अधिशासी अधिकारी संजय कुमार मिश्रा ने इस प्रकरण की जांच की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि पहली पत्नी मीना वर्मा ने गलत तथ्यों के आधार पर हापुड़ से मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करा लिया था। जन्म-मृत्यु अधिनियम 1969 और 2002 के अनुसार, मृत्यु या जन्म का प्रमाणपत्र उसी स्थान से जारी किया जाता है, जहां घटना हुई हो। इसलिए, पालिका से जारी अरुण कुमार वर्मा का मृत्यु प्रमाणपत्र नियम विरुद्ध पाए जाने पर निरस्त कर दिया गया है। तीन दिन पहले कोतवाली में इनके विरुद्ध दर्ज हुई थी रिपोर्ट न्यायालय के आदेश पर कोतवाली पुलिस ने तीन दिन पहले नगर पालिका के छह अधिकारियों व कर्मचारियों समेत 14 व्यक्तियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी, इसमें पालिका के तत्कालीन रजिस्ट्रार जन्म-मृत्यु मनोज कुमार, मुख्य सफाई निरीक्षक आवेश कुमार, तत्कालीन सफाई निरीक्षक राजकुमार, सफाई नायक राजीव, राजस्व निरीक्षक अमरपाल सिंह, क्षेत्रीय लेखपाल गंगाप्रसाद पटेल, स्वयं को पत्नी बताने का दावा करने वाली मीना वर्मा, शुचि वर्मा, यश वर्मा, ममता वर्मा, नीलम, विजयेता यादव, चंद्रहास, नीलम शामिल हैं।
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