लखनऊ हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से प्रत्याशियों की संपत्ति घोषणा के सत्यापन की व्यवस्था पर सवाल पूछा है। न्यायालय ने यह भी जानना चाहा है कि क्या गलत जानकारी देने वाले उम्मीदवारों के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई है। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने चुनाव आयोग से पूछा है कि नामांकन के समय फॉर्म-26 पर प्रत्याशियों द्वारा की गई संपत्ति घोषणा का सत्यापन कैसे होता है। कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि क्या अब तक किसी उम्मीदवार का शपथपत्र गलत पाया गया है और यदि हां, तो उसके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई। न्यायालय ने चुनाव आयोग को इन सभी बिंदुओं पर स्पष्टीकरण देते हुए प्रति शपथपत्र दाखिल करने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई जनवरी माह के तीसरे सप्ताह में निर्धारित की गई है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति राजीव भारती की खंडपीठ ने लोक प्रहरी संस्था द्वारा दायर जनहित याचिका पर दिया। याचिका में कहा गया है कि प्रत्याशियों की संपत्ति घोषणा का सत्यापन आयकर विभाग द्वारा किया जाता है और रिपोर्ट चुनाव आयोग को भेजी जाती है। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद, चुनाव आयोग इन सत्यापन रिपोर्टों को सार्वजनिक नहीं कर रहा है। न्यायालय ने प्रथम दृष्टया टिप्पणी की कि यदि सूचना के सत्यापन और गलत जानकारी पर कार्रवाई का कोई तंत्र नहीं है, तो इस प्रक्रिया का कोई अर्थ नहीं है। कोर्ट ने निर्वाचन आयोग और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) दोनों से प्रभावी तंत्र सुझाने के लिए हलफनामा दाखिल करने की अपेक्षा की है। न्यायालय ने सुझाव दिया कि निर्वाचन आयोग और आयकर विभाग के उच्च स्तरीय अधिकारी संयुक्त बैठक कर ऐसा तंत्र तैयार करें।
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