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हाईकोर्ट ने कहा-भ्रष्टाचार की जांच में लापरवाही हो रही:कोर्ट का निर्देश-प्रमुख सचिव गृह और डीजीपी देखें, निर्देश जारी करें

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ​एक आदेश में कहा है कि भ्रष्टाचार निवारण के मामलों की जांच अत्यंत लापरवाहीपूर्ण तरीके से की जा रही है। कोर्ट ने रिश्वत की रकम की बरामदगी और जब्ती में खामियां पाते हुए टिप्पणी की कि अधिकांश मामलों में न तो आरोपी और शिकायतकर्ता के हाथ उस जगह पर धोए जा रहे हैं जहां ट्रैप किया गया था और न ही बरामद रिश्वत की राशि को ट्रैप वाली जगह पर सील किया जा रहा है।
जबकि ट्रैप कार्यवाही की शुचिता के लिए ये कार्यवाही उसी जगह की जानी चाहिए, जहां ट्रैप किया गया था। इसलिए प्रमुख सचिव गृह और प्रदेश के पुलिस महानिदेशक इस मामले को देखें और इस संबंध में आवश्यक निर्देश जारी करें। कोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल को आदेश की प्रति अनुपालन के लिए प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव गृह और पुलिस महानिदेशक को जल्द से जल्द भेजने का निर्देश दिया। यह आदेश ​न्यायमूर्ति समीर जैन ने सुरेश प्रकाश गौतम की जमानत याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। सुरेश प्रकाश गौतम के खिलाफ सहारनपुर में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। ​मामले के कागजात की जांच के बाद कोर्ट ने पाया कि आरोप के अनुसार याची शामली में श्रम प्रवर्तन अधिकारी के पद पर तैनात था और शिकायतकर्ता के दावे का निपटारा करने के लिए उसने रिश्वत की मांग की। बाद में उसे ट्रैप टीम ने उसे रंगे हाथ पकड़ा। रिश्वत के नाम पर ली गई रकम की बरामदगी भी उसके कब्जे से हुई। उसके घर से 21 लाख 50 हजार रुपये भी बरामद किए गए लेकिन कागजात के अनुसार न तो याची और शिकायतकर्ता के हाथ उस जगह पर धोए गए, जहां ट्रैप किया गया था तथा न ही बरामद रिश्वत की राशि को मौके पर सील किया गया था। कागजात यह भी बताते हैं कि रिश्वत की बरामदगी का मेमो भी मौके पर तैयार नहीं किया गया और ऐसा प्रतीत होता है कि यह सारी कार्यवाही थाने में की गई है।
इन तथ्यों के आधार पर याची के अधिवक्ता का यह तर्क कि ट्रैप की कार्यवाही संदेहास्पद प्रतीत होती है, को इस स्तर पर पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि अभिलेख से यह भी पता चलता है कि शिकायतकर्ता ने 21 अगस्त को याची के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी लेकिन 14 अगस्त को याची ने उप श्रम आयुक्त को प्रार्थना पत्र दिया था कि कार्यालय के कुछ अधिकारी उसे कुछ झूठे मामलों में फंसाने की कोशिश कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि इस तथ्य पर विचार करते हुए याची के अधिवक्ता का यह तर्क कि याची को झूठा फंसाया जा रहा है, को भी इस स्तर पर पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता।


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