इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी पर रोक के बावजूद महिला को हिरासत में लेने पर पुलिस अधीक्षक मऊ, वहां के बाल कल्याण समिति अध्यक्ष और थानाध्यक्ष मधुबन को अवमानना का नोटिस जारी करते हुए तीनों से स्पष्टीकरण मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर एवं न्यायमूर्ति संजीव कुमार की खंडपीठ ने दिया है। कोर्ट ने कहा कि किसी भी कार्यकारी प्राधिकरण, जिसमें सरकार भी शामिल है, द्वारा किया गया कोई भी काम जो किसी न्यायिक आदेश का उल्लंघन करता है, वह कोर्ट की अवमानना होने के अलावा, अमान्य है । महिला और उसके पति ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की है। उन्होंने पिछले साल दिसंबर में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार शादी की थी। इसके बाद महिला की मां ने अपहरण का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज करा दी। सुरक्षा के लिए युगल ने याचिका दाखिल की। कोर्ट ने अंतरिम राहत देते हुए अगली सुनवाई की तारीख तक पति और दोनों की गिरफ्तारी पर स्पष्ट रूप से रोक लगा दी। याचिका में आरोप है कि इस आदेश के बावजूद पुलिस ने महिला को गिरफ्तार कर लिया। गत 29 जुलाई को, जिस दिन हाईकोर्ट ने रोक का आदेश बढ़ाया, उसे बाल कल्याण समिति मऊ के सामने पेश किया गया, जिन्होंने उसे वन स्टॉप सेंटर में रखने का निर्देश दिया। अधिकारियों के आचरण पर नाराज़गी जताते हुए हाईकोर्ट ने पूछा कि पुलिस याची को उसकी आज़ादी से कैसे वंचित कर सकती है। कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक मऊ, मधुबन थाने के एसएचओ और बाल कल्याण समिति अध्यक्ष को 17 दिसंबर तक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
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