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हाईकोर्ट का आदेश- पीलीभीत किसानों को नए कानून से मुआवजा:2014 से पहले शुरू हुई अधिग्रहण प्रक्रिया पर 2013 के कानून से मिलेगा मुआवजा

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने पीलीभीत के सैकड़ों किसानों को बड़ी राहत दी है। न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि भले ही भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया वर्ष 2014 के नए कानून लागू होने से पहले शुरू हुई हो, लेकिन यदि अब तक मुआवजा नहीं दिया गया है, तो ‘भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013’ के तहत ही मुआवजा प्रदान किया जाएगा। यह महत्वपूर्ण आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने सुनाया। यह फैसला पीलीभीत जनपद के किसानों कृशन कुमार शर्मा व अन्य की याचिका और राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर एक साथ सुनवाई के बाद आया। किसानों की ओर से अधिवक्ता सुशील कुमार ने न्यायालय को बताया कि पीलीभीत के खरुआ गांव में एसएसबी (सीमा सुरक्षा बल) के क्वार्टर के लिए 28.88 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया वर्ष 2002 में पुराने कानून के तहत शुरू की गई थी। हालांकि, 2014 तक किसानों को मुआवजा नहीं मिला था। बाद में किसानों और सरकार के बीच वर्ष 2013 के नए कानून के तहत मुआवजा प्रदान करने पर सहमति बनी थी। लेकिन, वर्ष 2015 में सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर पुराने कानून के तहत ही मुआवजा देने की बात कही, जिसे वर्तमान याचिकाओं में चुनौती दी गई थी। केंद्र और राज्य सरकार के अधिवक्ताओं ने याचिका का विरोध किया था। न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अपने आदेश में कहा कि अधिनियम, 2013 की धारा 24 नए कानून के संबंध में पूर्वलक्षी प्रभाव का प्रावधान करती है। इसका अर्थ है कि यदि पुराने अधिनियम के तहत शुरू की गई अधिग्रहण प्रक्रिया में वर्तमान कानून लागू होने की तिथि तक मुआवजा नहीं दिया गया है, तो नए कानून के तहत ही मुआवजा तय किया जाएगा। न्यायालय ने इन टिप्पणियों के साथ वर्ष 2015 की अधिसूचना को निरस्त कर दिया, साथ ही नए सिरे से मुआवजा तय करते हुए तीन माह के भीतर याचिकाकर्ताओं को प्रदान करने का आदेश दिया है।


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