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हर खेत को पानी मुहैया कराने की पहल:योगी ने दी 95 प्रोजेक्ट को मंजूरी, 9 लाख किसानों को लाभ; 36 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र बढ़ेगा

खेतीबाड़ी का सबसे महत्वपूर्ण निवेश सिंचाई है। वह भी समय पर। कहा भी गया है “खेती हर चीज का इंतजार कर सकती है, सिवा पानी के।” खेत की तैयारी से लेकर बोआई के बाद फसल कटने के कुछ दिन पहले तक फसल विशेष की मांग के मुताबिक समय-समय पर पानी की जरूरत होती है। चूंकि फ्रेश वाटर का सर्वाधिक हिस्सा खेती में ही उपयोग होता है। लिहाजा पानी के आसन्न संकट के मद्देनजर डबल इंजन (मोदी और योगी) सरकार का फोकस, बूंद बूंद सहेजने के साथ किसानों के हित में सिंचन क्षमता में लगातार वृद्धि पर है। इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अब तक का कार्यकाल बेहद शानदार रहा है। मार्च 2017 में यूपी का मुख्यमंत्री बनने के बाद से अब तक योगी आदित्यनाथ ने खेतीबाड़ी की इस बुनियादी सुविधा पर खासा ध्यान दिया। इसके नाते उत्तर प्रदेश में सिंचन क्षमता का रिकार्ड विस्तार हुआ।आज यूपी की कृषि योग्य भूमि का 86 फीसद से अधिक हिस्सा सिंचित है। योगी के आठ साल से अधिक कार्यकाल में सिंचित क्षेत्र का रकबा 60% से अधिक बढ़ा है। जल संरक्षण और सिंचन क्षेत्र बढ़ाने की एक और पहल
इसी कड़ी में 19 नवंबर को उनकी अध्यक्षता में हुई सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग की समीक्षा बैठक में एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। बैठक में योगी सरकार 95 नए प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी। इन पर 394 करोड़ रुपए की लागत आएगी। परियोजना से करीब 9 लाख किसान लाभान्वित होंगे और सिंचन क्षेत्र का रकबे में करीब 36 हजार हेक्टेयर का विस्तार होगा। ये प्रोजेक्ट्स नहरों के खराब हो चुके रखरखाव से संबंधित हैं। इनके ठीक होने से संबंधित क्षेत्र में सिंचाई का रकबा बढ़ेगा। साथ ही रख रखाव के बाद इनसे होने वाले पानी की बर्बादी भी रुकेगी। उल्लेखनीय है कि खेतीबाड़ी में सिंचाई की अहमियत के मद्देनजर योगी सरकार ने शुरू से इस पर फोकस रखा। सिंचाई के रकबे में हुई अभूतपूर्व वृद्धि इसका प्रमाण है। इसके लिए योगी 01 से ही प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत तीन बड़े और अति महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट सरयू नहर परियोजना, अर्जुन सहायक परियोजना तथा बाण सागर परियोजना को जनता को समर्पित कर प्रदेश के सिंचाई क्षेत्र में मील का पत्थर स्थापित किया गया। इन बड़ी परियोजनाओं को लेकर योगी के कार्यकाल में अब तक छोटी-बड़ी लगभग 1000 परियोजनाएं पूरी की गईं या प्रस्थापित की गईं हैं। इन सबका नतीजा यह रहा कि प्रदेश में करीब 48.32 लाख हैक्टेयर अतिरिक्त सिंचन क्षमता सृजित हुई। इससे लगभग 185.33 लाख किसान लाभान्वित हुए। 2017 में प्रदेश में कुल सिंचित क्षेत्र का रकबा 82.58 लाख हेक्टेयर था। आठ वर्षों में यह बढ़कर 133 लाख हेक्टेयर हो गया। किसानों के व्यापक हित, फसल आच्छादन का रकबा और उपज बढ़ाने के लिए किए गए इस प्रयास का ही नतीजा है कि आज यूपी देश का इकलौता राज्य है जहां उपलब्ध भूमि के 76 फीसद हिस्से पर खेती हो रही है और कुल भूमि का करीब 86 फीसद हिस्सा सिंचित है। सिंचाई क्षेत्र में विस्तार का सिलसिला अभी जारी है सिंचन क्षमता बढ़ाने का यह सिलसिला अभी जारी है। हाल में हुई विभागीय बैठक में लिए गए निर्णय के अलावा मध्य गंगा नगर परियोजना फेज दो, कनहर सिंचाई परियोजना और रोहिन नदी पर महराजगंज में बैराज बनाने का काम जारी है। इन परियोजनाओं के पूरा होने से करीब 5 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचन क्षमता सृजित होगी। साथ ही इससे 7 लाख किसानों को भी लाभ होगा। इसी तरह नदी जोड़ो परियोजना के तहत केन बेतवा लिंक के पूरा होने पर बुंदेलखंड के झांसी, महोबा, बांदा और ललितपुर के 2.51 लाख हेक्टेयर खेतों की प्यास बुझेगी। साथ ही 21 लाख लोगों को पीने का पानी मिलेगा। उल्लेखनीय है कि बाढ़ और सूखे के स्थायी समाधान के लिए नदी जोड़ो परियोजना प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी का सपना था। उनके जन्मदिन पर पिछले साल 25 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका शिलान्यास किया था। केंद्र और प्रदेश के क्रमशः 90 और 10 फीसद अंशदान वाली इस परियोजना पर योगी सरकार तेजी से काम भी कर रही है। पूरी हुईं दशकों से लंबित परियोजनाएं
सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना यह परियोजना 1971-72 में परिकल्पित की गई। 1978 में इस पर कार्य प्रारंभ हुआ। पहले यह दो जिलों की परियोजना थी, 1982 में इसे 9 जिलों तक बढ़ाया गया। इससे 14.5 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त जमीन सिंचित होने से पूर्वांचल के नौ जिलों के तकरीबन 30 लाख किसानों को सीधा लाभ पहुंचा। इस परियोजना से बढ़ी सिंचाई क्षमता से पूर्वी उत्तर प्रदेश देश के खाद्यान्न उत्पादन में 24 लाख टन का अतिरिक्त योगदान होने का अनुमान है। परियोजना में शामिल बड़ी-छोटी 992 नहरों की कुल लंबाई 6,623 किलोमीटर है। इसमें से 1978-2017 तक 2000 किमी की लंबाई में 290 नहरों पर ही काम पूरा हुआ था जबकि 2017-2021 तक 702 नहरों का कार्य पूर्ण किया गया जिनकी कुल लंबाई 4,623 किमी है। चार दशक में कितना काम हुआ और पांच साल में इस परियोजना पर कितना काम हुआ, फर्क आंकड़ों से साफ हो जाता है। अर्जुन सहायक परियोजना
यह परियोजना 2008-2009 में प्रारंभ हुई। अर्जुन सहायक बांध परियोजना के तहत 2017 तक कुल 737 हेक्टेयर जमीन नहर खोदने के लिए ली गई जबकि योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद 1673 हेक्टेयर। 2009 से 2012 तक 41 किमी तथा 2012-2017 तक 14 किमी ही नहर बन सकी जबकि 2017-2021 तक 189 किमी नहर बनाई गई। कुल 2,655 करोड़ रुपए के बजट वाली इस परियोजना पर 2009 से 2012 तक 337 करोड़ तथा 2012-2017 तक 553 करोड़ ही व्यय हुए थे जबकि योगी सरकार ने 2017-2021 तक 1764 करोड़ रुपए खर्च कर इसे अंजाम तक पहुंचाया। अर्जुन सहायक नहर परियोजना से 244 किमी की लंबाई में बनी नहर से 69,000 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई की सुविधा मिली और इसे 1.49 लाख किसान लाभान्वित होने लगे। बाण सागर परियोजना
यह परियोजना 2018 में पूर्ण हुई। इसकी सिंचन क्षमता 1.50 लाख हेक्टेयर है। इससे करीब दो लाख किसानों को लाभ हो रहा है। सरकार युद्धस्तर पर सिंचन क्षमता के विस्तार के लिए अन्य योजनाओं पर भी काम कर रही है। इसके तहत नए नलकूपों को लगाने, पुरानों को रिबोर करने, भारी अनुदान देकर सोलर पंप को प्रोत्साहन, चेक डैम और खेत तालाब, अमृत सरोवर और मॉडल तालाब, गंगा तालाब जैसी बहुउद्देशीय योजनाएं शामिल हैं।


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