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हरियाणा रेलूराम हत्याकांड मामला:​​​​​​​हत्यारी बेटी सोनिया आज हो सकती है जेल से रिहा, जेल में दामाद संजीव ने नहीं की कोई लेबर

हरियाणा के पूर्व विधायक रेलूराम पुनिया हत्याकांड में अपने ही परिवार के 8 लोगों को बेहरमी से मौत के घाट उतारने वाले दोषी 43 वर्षीय सोनिया को आज या कल हाईकोर्ट से राहत मिल सकती है, जबकि इसके पति संजीव को 13 दिसंबर की शाम को अंतरिम जमानत मिल चुकी है। करनाल की जेल में बंद इस शातिर अपराधी महिला पर अलग-अलग जिलों में दर्ज कई मामलों की सुनवाई पूरी हो चुकी है, जिनमें से अधिकांश में उसे राहत मिल चुकी है। अब जघन्य अपराध के मामले में भी इसकी अंतरिम जमानत हो सकती है, यह दावा इसके पति संजीव की वकील द्वारा किया गया है। वहीं अगर सोनिया के रिकॉर्ड पर नजर डाली जाए तो यह पढ़ी-लिखी और ग्रेजुएट है। सूत्रों के अनुसार, इसे करनाल जेल लेडिज वार्ड 1-बी में रखा गया है और जेल में इसके कोई काम नहीं दिया गया है। कई जिलों में दर्ज रहे मामले सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सोनिया के खिलाफ करनाल, अंबाला, कुरुक्षेत्र और हिसार में अलग-अलग समय पर मामले दर्ज हुए। करनाल के राम नगर, अंबाला के बलदेव नगर और कुरुक्षेत्र के थानेसर सिटी में दर्ज मामलों में अदालतों से उसे बरी किया जा चुका है। इन मामलों में धोखाधड़ी, मारपीट और अन्य गंभीर आरोप शामिल थे। हिसार के मामले में उम्रकैद की सजा हालांकि हिसार के उकलाना क्षेत्र में दर्ज गंभीर मामले में अदालत ने सोनिया को दोषी करार दिया था। इस मामले में हत्या, साजिश, नशीले पदार्थों और हथियारों से जुड़े आरोप थे, जिसमें उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई। इसी सजा के तहत वह फिलहाल जेल में बंद है। वहीं अगर हत्यारे संजीव की अगर बात की जाए तो यह 18 अप्रैल 2023 से करनाल जिला जेल में बंद था, उसे गुरुग्राम जिला जेल से ट्रांसफर कर करनाल जिला जेल लाया गया था। 13 दिसंबर यानी शनिवार शाम तक उसे करनाल जिला की बैरक 17-ए, क्लास-सी में रखा गया था। जिसके बाद उसे अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया गया। एलएलबी है हत्यारा संजीव हत्यारे संजीव की अगर पढ़ाई की बात की जाए तो रिकॉर्ड के मुताबिक, उसने एलएलबी की पढाई की हुई है। 49 वर्षीय इस हत्यारे को जेल में कंविक्टेड की कैटेगिरी में रखा गया है और उम्र कैद की सजा काट रहा है। सूत्रों के मुताबिक, जेल में संजीव से फिलहाल कोई लेबर नहीं करवाई गई। पहला और सबसे बड़ा केस हिसार का, 2004 में दोषसिद्ध दोषी संजीव कुमार पर दर्ज पहला और सबसे गंभीर मामला हिसार जिले के उकलाना थाना क्षेत्र का है। यह मामला वर्ष 2001 का है। इसी केस में अदालत ने 31 मई 2004 को उसे दोषी करार दिया था। यह वही मामला है, जिसे पूर्व विधायक रेलूराम पूनिया और उनके पूरे परिवार की हत्या से जोड़ा जाता है। सेशन जज अरविंद कुमार ने इस केस में फैसला सुनाया था। संजीव पर दूसरा मामला यमुनानगर जिले के बिलासपुर थाना क्षेत्र में दर्ज है। यह केस धोखाधड़ी और जालसाजी से जुड़ा है। जानकारी अनुसार, इस मामले में उसे जमानत मिल चुकी है। तीसरा मामला अंबाला जिले के बलदेव नगर थाना क्षेत्र का है। इसमें पुलिस हिरासत से भागने और धोखाधड़ी से जुड़े आरोप शामिल हैं। जानकारी के अनुसार, इस केस में दी गई सजा संजीव पहले ही पूरी कर चुका है। गरीबी से अमीरी का सफर रेलू राम पूनिया एक गरीब परिवार से थे, जिन्होंने कड़ी मेहनत से संपत्ति अर्जित की। 1996 में वे विधायक बने। परिवार में संपत्ति के बंटवारे को लेकर तनाव था, खासकर सोनिया और उनके सौतेले भाई सुनील के बीच। 23 अगस्त 2001 को सोनिया के जन्मदिन पर हत्याएं हुईं। सोनिया ने आत्महत्या का प्रयास किया और गिरफ्तार हुई। अदालत ने संपत्ति हड़पने के इरादे से अपराध सिद्ध किया। कानूनी सफर पर एक नजर – 2004: ट्रायल कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई। – 2005: हाईकोर्ट ने उम्रकैद में बदल दी। – 2007: सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा बहाल की। – 2014: देरी के कारण उम्रकैद में परिवर्तित। – 2025: हाईकोर्ट ने समयपूर्व रिहाई की समीक्षा का आदेश दिया और अंतरिम जमानत प्रदान की। वर्तमान अपडेट: परिवार के चाचा राम सिंह की ओर से विरोध है। सोनिया ने जेल से संपत्ति दावे की चिट्ठी लिखी। अंतिम निर्णय दो महीने में अपेक्षित है। हत्याकांड जो इतिहास बन गया रेलू राम पूनिया हत्याकांड भारतीय अपराध इतिहास का एक कुख्यात मामला है, जो संपत्ति लालच, पारिवारिक विवाद और न्यायिक प्रक्रिया की जटिलताओं को उजागर करता है। यह घटना 23 अगस्त 2001 को हरियाणा के हिसार जिले के उकलाना मंडी के पास लितानी गांव में हुई, जहां पूर्व विधायक रेलू राम पूनिया (उम्र 50 वर्ष), उनकी दूसरी पत्नी कृष्णा (41), बेटी प्रियंका (16), सौतेला बेटा सुनील (23), बहू शकुंतला (20), और तीन नाती-पोतियां-लोकेश (4), शिवानी (2), और प्रीति (1.5 महीने)-की लोहे की रॉड से निर्मम हत्या कर दी गई। हत्यारों में मुख्य आरोपी रेलू राम की बड़ी बेटी सोनिया (19) और उसका पति संजीव कुमार थे। रेलू राम की रेल चलेगी, बिन पानी बिन तेल चलेगी रेलू राम का जीवन संघर्षपूर्ण था। गरीबी में भैंसें चराने वाले इस व्यक्ति ने दिल्ली में ट्रक धोने से शुरू कर कच्चे तेल के काले बाजार से धन कमाया। उन्होंने करीब 100 एकड़ कृषि भूमि, फरीदाबाद और दिल्ली में हवेलियां, नंगलोई में 13 दुकानें, और कई वाहन जमा किए। 1996 में वे बारवाला विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीते, जहां उनका नारा था “रेलू राम की रेल चलेगी, बिन पानी बिन तेल चलेगी”। वे पूर्व मुख्यमंत्री बंसी लाल की हरियाणा विकास पार्टी का समर्थन करते थे और चौधरी देवी लाल व ओम प्रकाश चौटाला से जुड़े थे। 2000 चुनाव नहीं लड़े। दूसरी पत्नी से हुई थी बेटी सोनिया पहली पत्नी ओम देवी से बेटा सुनील, दूसरी पत्नी कृष्णा से बेटियां सोनिया और प्रियंका। संपत्ति (लगभग 46 एकड़ कृषि भूमि सहित सैकड़ों करोड़ की) के बंटवारे पर विवाद था। सोनिया का मानना था कि पिता सब कुछ सुनील को दे देंगे। हफ्तों पहले सोनिया ने सुनील पर रेलू राम की लाइसेंसी बंदूक से गोली चलाने का प्रयास किया था। ऐसे शुरू हुआ सिलसिला 2001 : रेलू राम की संपत्ति संचय और राजनीतिक उदय। परिवार में कृष्णा और सोनिया के साथ तनाव। सोनिया-सुनील के बीच भूमि विवाद। 23 अगस्त 2001 (रात्रि): सोनिया का 19वां जन्मदिन। वह हॉस्टल से प्रियंका को लाती है। रात्रि 12 बजे पटाखे फोड़े जाते हैं। रात्रिभोज में अफीम युक्त खीर परोसी जाती है। करीब 4:45 बजे सोनिया टाटा सूमो में चली जाती है (संभावित रूप से संजीव को छोड़ने) और लौटती है। सोनिया लोहे की रॉड लेकर कमरों में घुसती है और सोते हुए परिवारजनों पर हमला करती है। शकुंतला का मुंह बंधा और हाथ बंधे मिले। 24 अगस्त 2001 (सुबह): नौकरानी बच्चों को स्कूल ले जाने पर शव मिलते हैं। सोनिया कीटनाशक खाकर बेहोश पाई जाती है, उसके पास सुसाइड नोट: “पापा मुझे प्यार नहीं करते थे, इसलिए मैंने उन्हें मार दिया।” उसे बारवाला अस्पताल ले जाया जाता है। संजीव फरार। 2001 (तत्काल बाद): सोनिया और संजीव गिरफ्तार। मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्यों (नौकरानी की गवाही, रॉड, वाहन ट्रेस) पर दर्ज। मकान में आग लगाने का प्रयास भी। जांच और मुकदमा जांच में 109 से अधिक गवाहों में से 66 की जांच हुई। सार्वजनिक अभियोजक पी.के. संधीर ने संपत्ति हड़पने का मकसद सिद्ध किया। संजीव के आठ रिश्तेदार (पिता, मां, भाई सहित) बरी। सोनिया की पूछताछ में खुलासा: पिता ने सुनील के नाम कागजात तैयार कर लिए थे। किस तरह से चला कोर्ट केस मई 2004: हिसार सत्र न्यायालय: सोनिया-संजीव को 8 हत्याओं के लिए मौत की सजा। अप्रैल 2005: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट: मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। फरवरी 2007: सुप्रीम कोर्ट: मौत की सजा बहाल। अक्टूबर 2007: हरियाणा गवर्नर: दया याचिका खारिज। फरवरी 2009: सोनिया राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को पत्र: एकांत कारावास में दर्द सहन नहीं, मौत दो। गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने अस्वीकार की सलाह दी। अप्रैल 2013: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी: दया याचिका खारिज। सोनिया भारत की पहली फांसी पाने वाली महिला बन सकती थीं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्थगित कर दिया। जनवरी 2014: सुप्रीम कोर्ट: दया याचिका में देरी (12 वर्ष 3 माह जेल) के कारण उम्रकैद में परिवर्तित। अन्य 13 कैदियों के साथ। अब पैरोल/फर्लो पर पात्र। सितंबर 2014: शिकायतकर्ता रेलूराम सिंह के वकील: फांसी की तारीख तय करने की मांग। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं। 2013 (अन्य): अंबाला जेल से सोनिया-संजीव का पाकिस्तानी जासूसों के साथ सुरंग खोदकर भागने का प्रयास विफल। 2023: राज्य स्तरीय समिति: समयपूर्व रिहाई खारिज (जेल अपराधों का हवाला)। 12 दिसंबर 2025: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अंतरिम जमानत पर रिहा किया जेल से डीएलएसए को लिखा पत्र जेल से सोनिया ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को पत्र लिखा, जिसमें लितानी मोड़ हवेली, दौलतपुर भूमि, नंगलोई दुकानें आदि पर दावा। उनका तर्क: बेटा प्रशांत भी वारिस। लेकिन राम सिंह के बेटे जितेंद्र (रेलू राम के भतीजे) विरोध में हैं, जो अदालत से कानूनी वारिस का दर्जा पा चुके। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 25 के तहत हत्यारा उत्तराधिकारी नहीं बन सकता। बैंक खाते (एसबीआई, पीएनबी), एलआईसी पॉलिसी आदि पर विवाद। विशेषज्ञों का मानना है कि हत्या के कारण सोनिया का दावा कमजोर।


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