हरदोई के एक निजी डिग्री कॉलेज में तिलक लगाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। एलएलबी प्रथम सेमेस्टर के छात्र अमित यादव ने कॉलेज के प्रधानाचार्य पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने और मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया है। छात्र ने तहसील समाधान दिवस में उच्च अधिकारियों को प्रार्थना पत्र देकर न्याय की गुहार लगाई है। अमित यादव का आरोप है कि जब वह कॉलेज पहुंचा तो उसके माथे पर लगे तिलक पर आपत्ति जताई गई। कथित तौर पर उससे कहा गया, “यह कोई गुरुकुल नहीं, बल्कि डिग्री कॉलेज है।” छात्र का कहना है कि यह टिप्पणी उसकी धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचाने वाली थी। परीक्षा फॉर्म भरने से रोके जाने का आरोप छात्र का दावा है कि इस घटना के बाद कॉलेज प्रशासन उसे एलएलबी प्रथम सेमेस्टर का परीक्षा फॉर्म भरने से रोक रहा है। जबकि विश्वविद्यालय द्वारा परीक्षा फॉर्म भरने की अंतिम तिथि 20 दिसंबर 2025 निर्धारित है।अमित यादव ने आशंका जताई है कि यदि समय रहते फॉर्म नहीं भरा गया तो उसका एक पूरा सेमेस्टर खराब हो सकता है, जिससे उसके शैक्षणिक भविष्य पर गंभीर असर पड़ेगा। संवैधानिक अधिकारों के हनन का आरोप छात्र ने अपनी शिकायत में कहा है कि किसी की धार्मिक पहचान या आस्था के आधार पर इस तरह का व्यवहार न केवल मानसिक उत्पीड़न है, बल्कि उसके संवैधानिक अधिकारों का भी उल्लंघन है। उसने मामले की निष्पक्ष जांच कराने और बिना किसी बाधा के परीक्षा फॉर्म भरने की अनुमति देने की मांग की है। विहिप ने जताया विरोध, दी आंदोलन की चेतावनी मामले की जानकारी मिलते ही विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नगर पदाधिकारी और कार्यकर्ता कॉलेज पहुंचे। उन्होंने छात्र के समर्थन में विरोध दर्ज कराया और कहा कि किसी भी शैक्षणिक संस्थान में छात्रों के साथ उनकी धार्मिक आस्था के आधार पर भेदभाव स्वीकार्य नहीं है।विहिप पदाधिकारियों ने चेतावनी दी कि यदि भविष्य में इस तरह की घटना दोहराई गई या छात्र को परेशान किया गया, तो संगठन आंदोलन करने को मजबूर होगा। कॉलेज प्रशासन ने आरोपों को किया खारिज वहीं, कॉलेज प्रशासन ने छात्र द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है। प्रशासन का कहना है कि किसी भी छात्र को तिलक लगाने से नहीं रोका गया और न ही कोई आपत्तिजनक टिप्पणी की गई। कॉलेज प्रबंधन ने पूरे मामले को गलतफहमी करार देते हुए कहा कि छात्र को परीक्षा फॉर्म भरने से रोकने का भी कोई सवाल नहीं है। फिलहाल मामला अधिकारियों तक पहुंच चुका है। अब देखना यह होगा कि जांच में क्या तथ्य सामने आते हैं और छात्र को समय रहते परीक्षा फॉर्म भरने की अनुमति मिलती है या नहीं।
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