हमीरपुर के पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष प्रीतम सिंह किसान लखनऊ में अंडरग्राउंड मिले। उन्हें पुलिस ने दुबग्गा थाना क्षेत्र में एक मकान से हिरासत में लिया। प्रीतम सिंह 18 अक्टूबर को राठ स्थित अपने पेट्रोल पंप पर हुए विवाद के बाद चर्चा में आए थे। विवाद के बाद पुलिस उन्हें थाने ले गई थी। अगले दिन उन्हें उनके बेटे राघवेंद्र को सौंप दिया गया और उनकी लाइसेंसी रिवॉल्वर भी वापस कर दी गई थी। पुलिस के अनुसार, प्रीतम सिंह ने इस घटनाक्रम को अपना अपमान मानते हुए पुलिस को सबक सिखाने के इरादे से स्वयं के लापता होने की योजना बनाई। प्रीतम सिंह के अचानक लापता होने के बाद पुलिस को 54 दिन तक कोई सुराग नहीं मिला। 55वें दिन हिरासत में ले लिए गए। 31 अक्टूबर को पुलिस ने उनके पेट्रोल पंप पर ताले तोड़कर तलाशी अभियान भी चलाया, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। इस दौरान प्रीतम सिंह अंडरग्राउंड रहे। लापता होने की कहानी से उलझी पुलिस
प्रीतम सिंह के अचानक गायब होने के बाद पुलिस को लंबे समय तक कोई सुराग नहीं मिला। 31 अक्टूबर को पुलिस ने उनके पेट्रोल पंप पर ताले तोड़कर सर्च ऑपरेशन भी चलाया, लेकिन सफलता नहीं मिली। इस बीच प्रीतम सिंह पूरी तरह से भूमिगत रहे और पुलिस की हर कोशिश नाकाम होती रही। हाईकोर्ट पहुंचा मामला
मामला तब और गंभीर हो गया, जब 28 नवंबर को उनके भाई वीर सिंह ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल कर दी। हाईकोर्ट ने 3 नवंबर को पुलिस को प्रीतम सिंह को पेश करने का आदेश दिया। इसके बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया और तलाश तेज कर दी गई। कोर्ट की सख्ती, बढ़ी पुलिस की सक्रियता
हाईकोर्ट में लगातार सुनवाई होती रही। 8 दिसंबर को पुलिस अधीक्षक डॉ. दीक्षा शर्मा स्वयं कोर्ट में पेश हुईं। कोर्ट ने पुलिस की दलीलें सुनने के बाद एक सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया। इसके बाद जिले की कई पुलिस टीमें लगातार लखनऊ और अन्य संभावित ठिकानों पर दबिश देती रहीं। 55वें दिन पुलिस को मिली सफलता
लगातार दबाव और खोजबीन के बाद पुलिस को शुक्रवार को बड़ी सफलता हाथ लगी। 55वें दिन प्रीतम सिंह किसान को लखनऊ के दुबग्गा थाना क्षेत्र स्थित एक मकान से बरामद कर लिया गया। इस बरामदगी के साथ ही पुलिस की लंबी तलाश समाप्त हो गई।
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