शाहजहांपुर में एक बस दुर्घटना के बाद घायलों को राजकीय मेडिकल कॉलेज के ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया, जहां स्ट्रेचर न मिलने के कारण एक घायल युवक को दूसरी घायल महिला को गोद में उठाकर बेड तक ले जाना पड़ा। सरकारी एम्बुलेंस के अंदर भी स्ट्रेचर नही था। इस घटना ने स्वास्थ्य व्यवस्था की लचर स्थिति को उजागर किया है। कुल छह लोग इस दुर्घटना में घायल हुए थे। बीती रात ट्रॉमा सेंटर के बाहर जब एम्बुलेंस पहुंची, तो उसमें घायल अंजू और करीब 18 वर्षीय रघुवीर थे। एम्बुलेंस का पिछला गेट खुलने के बाद घायलों को स्ट्रेचर के लिए लगभग पांच मिनट तक इंतजार करना पड़ा। इस दौरान डॉक्टर ने आकर उन्हें देखा भी। एम्बुलेंस के अंदर या ट्रॉमा सेंटर के बाहर कोई स्ट्रेचर उपलब्ध नहीं था। इसके बाद एक व्यक्ति ने एम्बुलेंस में चढ़कर घायल महिला को गोद में उठाया और नीचे खड़े घायल रघुवीर को दिया, जिसके बाद रघुवीर उन्हें गोद में लेकर ट्रॉमा सेंटर के अंदर बेड तक ले गए, जहां उनका इलाज शुरू किया जा सका। रघुवीर के भी आंख के पास चोट लगी थी औद उसके खून निकल रहा था। यह घटना लखीमपुर जिले के भीरा थाना क्षेत्र के चौखड़िया गांव के रहने वाले करीब 40 से अधिक लोगों के साथ हुई। ये सभी 27 नवंबर को एक निजी बस से मथुरा गए थे, जहां उन्होंने 28 नवंबर को जय गुरुदेव के सत्संग में भाग लिया था। सत्संग के बाद सभी लोग निजी बस से वापस अपने घर लौट रहे थे। देर रात करीब 12 बजे जब बस तिलहर थाना क्षेत्र के नगरिया मोड़ के पास पहुंची, तो चालक ने बस से नियंत्रण खो दिया। बस डिवाइडर पर चढ़कर पलट गई। इस दुर्घटना में अंजू, 15 वर्षीय गोल्डी, बिट्टू, रेनू सिंह, रघुवीर सिंह और भीरा थाना क्षेत्र के तालगांव की रहने वाली विनिता घायल हो गईं। सभी घायलों को 108 नंबर एम्बुलेंस की मदद से राजकीय मेडिकल कॉलेज भेजा गया।
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