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स्टाफ की लापरवाही ने मेरे बच्चे को तड़पाया:मेरठ में मनराज के पिता ने कहा- कुछ समझते उससे पहले घाव पर डाल दी फेवीक्विक

‘मेरा कसूर सिर्फ इतना है कि मैंने अस्पताल के स्टाफ को यह बोला कि क्या टांकों का कोई विकल्प भी है…’ ये कहना है ढाई साल के मासूम मनराज के पिता जसपिंदर सिंह का जिनके बेटे के घाव को भाग्यश्री अस्पताल में फेविक्विक से बंद कर दिया गया। प्रकरण साझा करते हुए उनकी आंखें भर आईं। उन्होंने कहा कि भगवान ऐसा दर्द किसी के बेटे को न दे, जैसा दर्द पूरी रात मेरे बेटे ने झेला है। खून देखकर घबरा गया था
जसपिंदर ने बताया कि जैसे ही मेरे बेटे को खेलते हुए चोट लगी तो मैंने घाव देखा, काफी गहरा था। मैं तुरंत उसे लेकर भाग्यश्री हॉस्पिटल पहुंचा। वहां मैंने सिर्फ इतना कहा कि मेरे बच्चे को टांके के निशान न दिखे, अगर ऐसा कुछ हो जाए तो आप देख लीजिए। स्टाफ ने कहा आप निश्चिंत रहें और बाहर से जाकर एक फेवीक्विक लेकर आइए। जैसे ही मैं पास की दुकान से फेवीक्विक लेकर आया, उस समय मेरा बेटा मेरी पत्नी इरविन कौर की गोद में था। स्टाफ ने मेरे हाथ से फेवीक्विक ली और उसके घाव के ऊपर डालते हुए उसे बंद कर दिया। समझने का मौका नहीं मिला
बच्चे के पिता ने कहा, जब तक मेरी समझ में कुछ आता उससे पहले उन्होंने घाव बंद कर दिया था। मैंने आपत्ति जताते हुए कहा कि एक टेटनेस का इंजेक्शन तो लगा दीजिए तो उन्होंने कहा कोई दिक्कत नहीं है। आप सुबह ले आना तब लगा देंगे। उसके बाद मैंने पूछा कि इस पर कोई पट्टी या बैंडेज कर दीजिए तो उन्होंने इसके लिए मना कर दिया। पूरी रात नहीं सो पाया परिवार
जसपिंदर ने बताया कि बच्चे को इतना दर्द था, मैं और मेरा परिवार सुबह तक सो नहीं पाए। इसके बाद मैं सुबह उसको लेकर लोकप्रिय अस्पताल पहुंचा वहां मुझे डॉ. सिद्धार्थ मिले। जिन्होंने लगभग 3 घंटे मेरे बच्चे का इलाज किया। उसके घाव को साफ कर उसमें चार-पांच टांके लगाकर घाव को बंद किया। डॉक्टर ने बताया घाव गहरा है
बच्चे के पिता ने बताया कि उन्होंने डॉ. सिद्धार्थ से टांकों का विकल्प पूछा तो उन्होंने बताया कि घाव गहरा है। इसमें टांके ही लगेंगे। फिर मैं अपने बेटे का इलाज कराने के बाद घर आ गया। अब हर तीन दिन में उसकी पट्‌टी बदली जाती है। मेरे बच्चे ने भाग्यश्री अस्पताल के स्टाफ की लापरवाही के कारण जितना दर्द सहन किय, उतना किसी और के बच्चे को न करना पड़े। जांच के आधार पर करूंगा कार्रवाई
बाद में जब भाग्यश्री अस्पताल पहुंचा और इस प्रकार इलाज में लापरवाही का विरोध किया तो अस्पताल में मौजूद डॉक्टर ने कहा आप हमसे बहस मत कीजिए। इसके बाद मैंने सीएमओ ऑफिस में शिकायत की। अब जांच के बाद जो दोषी पाया जाएगा मैं उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करूंगा, ताकि भविष्य में किसी और के बच्चे के साथ ऐसा ना हो। जितने दर्द में मेरा बेटा रहा मैं यह नहीं चाहता कि भविष्य में किसी और के बेटे को भी ये दिन देखना पड़े। ——————— ये खबर भी पढ़ें… ढाई साल के बच्चे को फेवीक्विक लगाने वाला सस्पेंड:आंख के ऊपर लगी चोट को चिपकाया था, हॉस्पिटल के डायरेक्टर बोले- पैरेंट्स झूठ बोल रहे मेरठ में ढाई साल के बच्चे को घर में खेलते समय मेज का कोना आंख के ऊपर लग गया। चोट लगने से बच्चे की आईब्रो के नीचे खून बहने लगा। पैरेंट्स बच्चे को लेकर डॉक्टर के पास गए। जहां उन्होंने टांके लगाने के बजाय फेवीक्विक लगा दी। उसे 12 घंटे तक असहनीय दर्द हुआ। इसके बाद परिजन उसे दूसरे अस्पताल लेकर गए। जहां फेवीक्विक को हटाने में 3 घंटे लग गए। इसके बाद डॉक्टरों ने घाव को खोलकर 5 टांके लगाए। पढ़ें पूरी खबर…


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