स्टडी हॉल विद्यास्थली में वार्षिक समारोह ‘कैलिडोस्कोप 2025’ का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम विश्व साहित्य की महान कृतियों को समर्पित था। प्री-प्राइमरी से कक्षा 12 तक के 500 से अधिक छात्रों ने संगीत, नृत्य, नाटक और कथन के माध्यम से समाज से जुड़े मुद्दों पर प्रभावशाली संदेश दिए। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि लखनऊ की सेंटर मैनेजर सुश्री अर्चना सिंह थीं। इस अवसर पर छात्रों ने महिलाओं के प्रति अन्याय, समाज में बढ़ती विभाजनकारी सोच और समानता-न्याय जैसे गंभीर मुद्दों को मंच पर संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत किया। इन प्रस्तुतियों में गिरीश कर्नाड की ‘नागमंडला’ और लुइगी पिरांडेलो की ‘सिक्स कैरेक्टर्स इन सर्च ऑफ एन ऑथर’ जैसी विश्वविख्यात साहित्यिक रचनाएँ शामिल थीं। संस्था की सोच सामाजिक न्याय पर आधारित मुख्य अतिथि अर्चना सिंह ने छात्रों के प्रदर्शन की सराहना की। उन्होंने कहा कि बच्चों ने बड़े विषयों को आत्मविश्वास के साथ मंचित किया, जो उनकी कला के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता और संवेदनशीलता का भी प्रमाण है। उन्होंने विद्यास्थली की इस पहल की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह बच्चों में आलोचनात्मक सोच और सहानुभूति विकसित करने का सराहनीय कार्य कर रहा है। स्टडी हॉल एजुकेशनल फाउंडेशन (SHEF) की संस्थापक एवं CEO डॉ. उर्वशी साहनी ने बताया कि संस्था की सोच समानता और सामाजिक न्याय पर आधारित है। उन्होंने कहा कि छात्रों को समाज की गहरी समस्याओं को समझने और समाधान की दिशा में कदम बढ़ाने के अवसर लगातार दिए जाते हैं। छात्रों ने साहित्यिक कृतियों पर आधारित सशक्त नाटक का मंचन किया कार्यक्रम में छोटे बच्चों ने रंगारंग नृत्य प्रस्तुतियाँ दीं, जबकि वरिष्ठ छात्रों ने साहित्यिक कृतियों पर आधारित सशक्त नाटक मंचित किए। प्रेमचंद की ‘ईदगाह’, काफ्का की ‘द मेटामॉर्फोसिस’ और कैथरीन मैन्सफ़ील्ड की ‘द डॉल्स हाउस’ पर आधारित इन प्रस्तुतियों ने दर्शकों को सोचने पर मजबूर किया। विद्यालय की प्राचार्या शिप्रा वर्मा ने कहा कि साहित्य और कला बच्चों में सहानुभूति, समानता और सामाजिक चेतना को विकसित करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि बच्चों की प्रस्तुतियों ने दिखाया कि वे अन्याय को समझते हैं, पक्षपात को पहचानते हैं और एक अधिक समावेशी समाज की कल्पना करना सीख रहे हैं।”
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