मेरठ की चौधरी चरण सिंह विश्विधालय के गेट पर सोमवार को छात्र नेताओं ने लोकतंत्र, संविधान और जन अधिकारों के समर्थन में प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने कुलदीप सेंसर की बेल पर रोक लगाने की मांग और रैमोन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की तत्काल रिहाई की मांग की। तानाशाही से आजादी के लगाए नारे
प्रदर्शनकारियों ने तानाशाही से आजादी के नारे लगाते हुए स्पष्ट किया कि ये नारे किसी देश, संविधान या व्यवस्था के विरुद्ध नहीं, बल्कि अन्याय, दमन, प्रदूषण, भ्रष्टाचार और मनुवादी सोच से मुक्ति की जन-आवाज़ हैं। लोगों का कहना था कि जब गंभीर मामलों में भी आसानी से बेल मिल जाती है, तो कानून का भय समाप्त हो जाता है और अपराध को बढ़ावा मिलता है। इसी कारण कुलदीप सेंसर की बेल पर रोक की मांग को न्याय व्यवस्था की जवाबदेही से जोड़ा गया। सोनम वांगचुक की रिहाई की मांग
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सोनम वांगचुक लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने, पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय लोगों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए शांतिपूर्ण संघर्ष कर रहे हैं। ऐसे में लोकतांत्रिक मांगों के कारण उनका दमन चिंताजनक है और यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सवाल खड़े करता है। इस मौके पर एडवोकेट आदेश प्रधान ने कहा कि सोनम वांगचुक का संघर्ष सत्ता के खिलाफ नहीं, बल्कि संविधान के भीतर रहकर जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए है। उनकी आवाज़ को दबाना लोकतंत्र की आत्मा पर हमला है। उन्होंने यह भी कहा कि कुलदीप सेंसर की बेल पर रोक की मांग केवल एक केस नहीं, बल्कि पूरे न्याय तंत्र की जवाबदेही का सवाल है। ये रहे मौजूद
इस प्रदर्शन में अनुज भड़ाना, आकाश भड़ाना, शशिकांत गौतम, शेरा जाट, दीपक शर्मा, राहुल अर्जक, राहुल वर्मा, आलोक बैंसला सहित बड़ी संख्या में छात्र मौजूद रहे।
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