इटावा में आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, सैफई के अस्थि रोग विभाग को एक बड़ी चिकित्सा उपलब्धि हासिल की। विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. सुनील कुमार के नेतृत्व में डॉ. हरीश कुमार और डॉ. ऋषभ अग्रवाल की टीम ने 18 वर्षीय मरीज अंकित (जनपद इटावा) के बार-बार उतरने वाले कंधे का दूरबीन पद्धति से रिम्पलिसाज तथा बैंकर्ट मरम्मत सफलतापूर्वक किया। यह जटिल प्रक्रिया विश्वविद्यालय में पहली बार ऑपरेशन किया गया। करीब दो वर्ष पहले सड़क दुर्घटना में अंकित का बायां कंधा पहली बार उतरा था। इससे कंधे को स्थिर रखने वाले लिगामेंट और जोड़ की झिल्ली हड्डी से अलग हो गई। कंधा बैठवाने के बाद भी जोड़ कमजोर होने के कारण कंधा बार-बार उतरता रहा और दो वर्षों में चार से छह बार यह समस्या दोहराई गई। कई स्थानों पर उपचार कराने के बाद भी स्थायी राहत नहीं मिल सकी।सैफई में जाँच कराने पर पता चला कि कंधे की झिल्ली और लिगामेंट उखड़ चुके हैं तथा बार-बार उतरने से जोड़ की हड्डी का लगभग सोलह प्रतिशत हिस्सा घिस चुका है। ऐसे मामलों में केवल बैंकर्ट मरम्मत पर्याप्त नहीं होती, इसलिए चिकित्सकों ने रिम्पलिसाज को भी साथ में करने का निर्णय लिया। यह उपचार दोहरी सुरक्षा प्रदान करने वाली विधि माना जाता है। प्रो. डॉ. सुनील कुमार ने बताया, “मामला अत्यन्त चुनौतीपूर्ण था। इतनी अधिक हड्डी खराब होने पर सामान्यतः जोड़ खोलकर ऑपरेशन करना पड़ता है, परन्तु हमने पूरी प्रक्रिया दूरबीन विधि से करने का निर्णय लिया। ऑपरेशन के बाद कंधा पूरी तरह स्थिर पाया गया।”अस्थि रोग विभाग में पहले भी कंधे की दूरबीन सर्जरी की जाती रही है, परन्तु रिम्पलिसाज के साथ यह संयुक्त उन्नत प्रक्रिया पहली बार सफल हुई है। यह उपलब्धि विभाग की तकनीकी दक्षता और टीमवर्क का प्रमाण है।यूपीयूएमएस में स्पोर्ट्स चोट क्लिनिक की आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं, जहां कंधे, घुटने तथा खेल से सम्बंधित अन्य चोटों का उन्नत उपचार किया जाता है। यहाँ दूरबीन पद्धति की अत्याधुनिक मशीनें, अनुभवी चिकित्सक, उन्नत जांच सेवाएं तथा व्यायाम चिकित्सा की श्रेष्ठ व्यवस्था उपलब्ध है, जिससे मरीज शीघ्र और सुरक्षित रूप से स्वस्थ हो पाते हैं। डॉ. हरीश कुमार ने बताया कि इस प्रक्रिया में दूरबीन विधि द्वारा जोड़ की झिल्ली और लिगामेंट की मरम्मत की गई तथा हड्डी के नष्ट हिस्से की समस्या को देखते हुए रिम्पलिसाज भी किया गया। संपूर्ण प्रक्रिया केवल तीन छोटे छिद्रों से पूरी की गई और कंधा कहीं से भी नहीं खोला गया।मरीज अंकित ने बताया कि ऑपरेशन के बाद उसका दर्द लगभग समाप्त हो गया है और वह कंधे के विशेषज्ञ डॉ. मन्वीत कुमार की देख-रेख में व्यायाम चिकित्सा कर रहा है।ऑपरेशन में डॉ. हिमांशु प्रिंस और उनकी बेहोशी विशेषज्ञ टीम, अस्थि रोग रेज़िडेंट तथा ओटी स्टाफ का विशेष सहयोग रहा।
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