भारत रत्न व पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म शताब्दी पर लखनऊ में वृहत स्तर पर कार्यक्रम हुआ। राष्ट्र प्रेरणा स्थल के शिलान्यास पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर सरकार और संगठन के बड़े नेता जुटे। अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा पर पुष्पाजंलि अर्पित की गई लेकिन इस मौके पर आगरा के बटेश्वर में स्थित उनका पैतृक आवास सूना रह गया। यहां कोई दो फूल चढ़ाने भी नहीं पहुंचा।
गांव में पहले से चल रहे कृषि मेले में जिलाधिकारी अरविंद मल्लप्पा बंगारी सहित अन्य अधिकारी पहुंचे। इसके अलावा उनके अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर कोई कार्यक्रम नहीं हुआ। संकुलन केंद्र पर जरूर सफाई अभियान चला।
वर्ष 2023 में अटल जयंती पर उनके पैतृक गांव बटेश्वर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहुंचे थे। उन्होंने 4 बड़ी घोषणाएं कीं। इसमें बटेश्वर के पास आगरा से वृंदावन तक हवाई दर्शन, यमुना किनारे घाट-मंदिर का जीर्णोद्धार, सांस्कृतिक संकुल केंद्र और अटल के पैतृक आवास की जगह स्मारक बनाया जाना था। आगरा शहर से करीब 80 किलोमीटर दूर बटेश्वर गांव में जाने के लिए बीहड़ के बीच से गुजरना होता है। सड़क से 300 मीटर दूर वाजपेयी मोहल्ला है, जहां का रास्ता जर्जर होता जा रहा है। मुख्य मार्ग से उतरकर वाजपेयी मोहल्ला जाने के रास्ते पर दोनों तरफ खंडहर हो चुके एक दर्जन घर हैं। अटलजी के भतीजे रमेश चंद्र वाजपेयी के घर से सटा हुआ बड़ा खंडहर है। यही अटलजी का पैतृक आवास हुआ करता था। अगर यहां लोगों ने न बताएं तो घर पहचानना मुश्किल हो जाता। क्योंकि यहां एक बोर्ड तक नहीं लगा था। पैतृक आवास…स्मारक नहीं बना
पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ। मगर, उनका बचपन बटेश्वर में स्थित उनके पैतृक घर में गुजरा। यहीं उनका पूरा परिवार रहता था। एक वक्त पर यही घर जनसंघ का बड़ा केंद्र हुआ करता था, मगर 1985 के बाद से यहां अटलजी ने आना कम कर दिया। घर खंडहर होता गया। इतने सालों में पूरी तरह ध्वस्त हो गया है। अब बस घर की कुछ दीवारें बची हुई हैं, जो खुद ब खुद ढह रही हैं। अटलजी के घर की स्मृति बचाए रखने के लिए यहां पर 10 साल पहले एक चबूतरा बना दिया गया था। अब यह भी झाड़ियों में छिपा हुआ है। नहीं हुआ आवास का विकास
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के पैतृक आवास पर विकास कार्य न होने से गांव के लोग काफी आहत हैं। वाजपेयी गली के ही रहने वाले चरन सिंह यादव कहते हैं-अटलजी की जयंती पर उनके पैतृक आवास पर न तो कोई नेता आता है और न ही अधिकारी। हम आसपास के लोग ही यहां एकत्रित हो जाते हैं। उनका पैतृक आवास दुर्दशा का शिकार है। उनका कहना है-यहां कोई विकास कार्य नहीं हुआ है। जिस गली में अटलजी का पैतृक आवास था, वहां बारिश के दिनों में काफी जलभराव हो जाता है। शुरू नहीं हो पाई हेलीपैड सेवा वर्ष 2023 में अटल जयंती पर CM योगी आदित्यनाथ ने बटेश्वर से हेलिकॉप्टर सेवा का शुभारंभ किया। उस दिन 1 हेलिकॉप्टर की पहली उड़ान भी हुई। मगर, यही आखिरी साबित हुई। जहां पर हेलीपोर्ट बनाया गया था। वहां अब बड़ी-बड़ी घास उग आई है। अब हेलीपैड नजर भी नहीं आता है। इस हेलीपैड को PWD ने बनाया था। इसका पूरा प्लान ऐसा था कि साल 2017–2018 में आगरा में हेलीपोर्ट प्रोजेक्ट तैयार करने के निर्देश दिए गए। जिसके बाद आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे और इनर रिंग रोड (यमुना एक्सप्रेस-वे) के पास गांव मदरा में 5 एकड़ से ज्यादा जमीन पर 4.95 करोड़ रुपए में हेलीपैड बनाने का काम PWD विभाग ने शुरू किया था। वृंदावन में भी हेलीपोर्ट का निर्माण हुआ। 2003 में आखिरी बार आए थे गांव
आखिरी बार पूर्व पीएम यहां पर वर्ष 2003 में आगरा-बटेश्वर रेलवे लाइन का शिलान्यास करने आए थे। हालांकि यह रेल लाइन अभी तक शुरू नहीं हो सकी। उसी वक्त रमेश चंद्र की उनसे आखिरी मुलाकात हुई थी।
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