सुल्तानपुर के गोमती विहार, निजामपट्टी में चल रही सात दिवसीय श्रीराम कथा के पांचवें दिन मानस माधुरी सुनीता शास्त्री ने भगवान राम के जन्म का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि भगवान के जन्म की कथा सुनने और पढ़ने से मनुष्य को कई गुना पुण्य लाभ प्राप्त होता है। बाबा दयाराम दास के सानिध्य में चल रही इस कथा में शास्त्री जी ने बताया कि भगवान राम का जन्म त्रेतायुग में अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के घर चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था। पुत्र प्राप्ति के यज्ञ से प्राप्त प्रसाद के सेवन के बाद राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का जन्म हुआ, जिससे अयोध्या में हर्षोल्लास छा गया। शास्त्री जी ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने धर्म की स्थापना और अधर्म के नाश के लिए अवतार लिया था। उन्होंने भक्तों से मोह माया के बंधन से मुक्त होने के लिए इन पौराणिक कथाओं को सुनने और पढ़ने का समय निकालने का आग्रह किया। इस अवसर पर भगवान के जन्म की अद्भुत झांकी निकाली गई, जिसे देखकर श्रद्धालु आनंदित हो उठे। महिला श्रद्धालुओं ने सोहर और बधाई गीत गाकर पंडाल को भक्तिमय बना दिया। मानस सीआईडी शीतल बाबा ने राम जन्म कथा के दौरान भगवान राम के पिता दशरथ के जीवन और त्याग की कहानी विस्तार से सुनाई। कथा व्यास डॉ. प्रभाकांत त्रिपाठी ने भगवान श्रीराम और उनके चारों भाइयों के जन्म के महात्म्य पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के अंत में आयोजक मंडल द्वारा व्यास पीठ की आरती उतारी गई और भक्तों को प्रसाद वितरित किया गया। इस अवसर पर बाबा दयाराम दास, अरविंद सिंह पाकड़पुर, संतोष सिंह, जेपी सिंह, शशिकांत सिंह, अशोक सिंह ‘गौरा’, सुभाष तिवारी, अंजू सिंह, हरि ओम दूबे सहित सैकड़ों महिला-पुरुष श्रद्धालु उपस्थित रहे।
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