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सिद्धार्थनगर की बौद्ध धरोहर पर संसद में उठा सवाल:सांसद जगदंबिका पाल ने विकास और वैश्विक पहचान की मांग की

संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन 1 दिसंबर को सिद्धार्थनगर की बौद्ध धरोहरों का मुद्दा लोकसभा में उठा। सांसद जगदंबिका पाल ने पिपरहवा, गणवरिया और कपिलवस्तु क्षेत्र की प्राचीन बौद्ध विरासत के संरक्षण, विकास और अंतरराष्ट्रीय पहचान को लेकर केंद्र सरकार से विस्तृत जानकारी मांगी। सांसद पाल ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के तहत संरक्षित 5 राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों और उनके अधिसूचना वर्ष के बारे में पूछा। सरकार ने जवाब में बताया कि उत्तर प्रदेश के कुल 735 राष्ट्रीय स्मारकों में से 5 सिद्धार्थनगर में स्थित हैं। इनमें शाक्य गण के स्तूप, पिपरहवा और गणवरिया के प्राचीन बौद्ध स्थल तथा अन्य ऐतिहासिक अवशेष शामिल हैं। सरकार ने जानकारी दी कि पिछले छह वर्षों (2019-20 से 2025-26) में इन स्थलों के संरक्षण, मरम्मत, पर्यटक सुविधाओं के विस्तार और स्वच्छता पर लगातार बजट आवंटित और व्यय किया गया है। पिपरहवा और गणवरिया को टिकटेड स्मारक घोषित करने के बाद पर्यटन में वृद्धि हुई है, जिससे प्राप्त राजस्व का उपयोग स्थानीय सुविधाओं को बेहतर बनाने में किया जा रहा है। सरकार ने यह भी बताया कि ASI वैज्ञानिक संरक्षण और निरंतर निगरानी के माध्यम से जलवायुजनित क्षति को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठा रहा है। इसका उद्देश्य प्राचीन धरोहरों की संरचना को सुरक्षित रखना है। सांसद पाल ने कहा कि सिद्धार्थनगर केवल एक जिला नहीं, बल्कि भारत की बौद्ध सांस्कृतिक आत्मा का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण को मिली गति की सराहना की। पाल ने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में सिद्धार्थनगर वैश्विक बौद्ध पर्यटन मानचित्र पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करेगा।


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