बड़ौत के दोघट कस्बे में ‘सिगरेट वाले बाबा’ का दरबार लोगों के बीच आस्था का केंद्र बन गया है। यहां बाबा सिगरेट के कश से निकलने वाले धुएं के माध्यम से भक्तों के संकट दूर करने का दावा करते हैं। इस अनोखी परंपरा को देखने और अनुभव करने के लिए दिल्ली, हरियाणा और बागपत से श्रद्धालु उमड़ते हैं। जहां एक ओर सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, वहीं दूसरी ओर यह दरबार बिना किसी डॉक्टर या दवा के लोगों को ‘राहत’ देने का नया ठिकाना बन गया है। श्रद्धालुओं का मानना है कि बाबा के मुंह से निकला सिगरेट का धुआं उनके संकटों को दूर कर देता है। ‘सिगरेट वाले बाबा’ किसी पुरानी सिद्ध परंपरा से नहीं जुड़े हैं। जानकारी के अनुसार, कुछ समय पहले तक वे सड़कों पर मूंगफली बेचने का काम करते थे। अचानक मूंगफली विक्रेता से ‘सिगरेट वाले बाबा’ बनने के बाद अब उनकी पहचान पूरे इलाके में धुएं से ‘इलाज’ करने वाले बाबा के रूप में हो चुकी है। बाबा के दरबार में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बाकायदा एक व्यवस्था है। नंबर लगाने के लिए 100 रुपये की रसीद कटती है, जबकि आपातकालीन दर्शन के लिए 500 रुपये की रसीद बनाई जाती है। नंबर आने पर श्रद्धालु को बाबा के सामने बैठाया जाता है। इसके बाद करीब 30 से 40 सेकंड तक भजन बजता है, जिसके दौरान बाबा अपनी गर्दन को इधर-उधर घुमाते रहते हैं। भजन बंद होते ही बाबा श्रद्धालु से उसका दुख पूछते हैं। फिर वे सिगरेट का कश लगाते हैं और श्रद्धालु के मुंह पर धुआं छोड़ते हैं। धुआं लगते ही श्रद्धालु के चेहरे पर बदलाव आता है और माना जाता है कि उसका संकट दूर हो गया है। यह सिलसिला सुबह से लेकर देर रात तक चलता रहता है।
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