साकेत स्नातकोत्तर महाविद्यालय, अयोध्या के विधि विभाग में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस (10 दिसंबर) के अवसर पर एक सारगर्भित संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मानवाधिकारों की प्रकृति, महत्व और उनके संरक्षण से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विशेषज्ञों ने विस्तृत विचार व्यक्त किए। मुख्य अतिथि एवं प्राचार्य प्रो. दानपति तिवारी ने कहा कि मानवाधिकार हर व्यक्ति की प्राकृतिक गरिमा और स्वतंत्रता का आधार हैं। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे मानवाधिकारों के संवैधानिक प्रावधानों और नैतिक मूल्यों को समझते हुए समाज में जागरूकता फैलाएं। विशिष्ट अतिथि और वाणिज्य विभागाध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार मिश्रा ने कहा कि समानता और न्याय की वास्तविक स्थापना के बिना मानवाधिकारों की सार्थकता अधूरी है। उन्होंने मानवाधिकारों को विकासशील समाज की बुनियादी शर्त बताया। विधि विभागाध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार राय ने कहा कि मानवाधिकार केवल विधिक अधिकार नहीं, बल्कि मानवीय कर्तव्य और सामाजिक उत्तरदायित्व का प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था मानवाधिकारों की सुरक्षा पर ही आधारित है। प्रो. अजय कुमार सिंह ने कहा कि मानवाधिकारों की प्रतिष्ठा तभी संभव है जब नागरिक अपने दायित्वों का निष्ठापूर्वक पालन करें। उन्होंने कानून के विद्यार्थियों को समाज में विधिक जागरूकता बढ़ाने की प्रेरणा दी। कार्यक्रम का संचालन डॉ. शशि कुमार ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन प्रो. अजय कुमार सिंह द्वारा दिया गया। संगोष्ठी में डॉ. रजनीश श्रीवास्तव, डॉ. विवेकानंद पांडेय, बिपेंद्र पांडेय, सुनील दत्त सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। महाविद्यालय के मीडिया प्रभारी प्रो. आशुतोष त्रिपाठी के अनुसार संगोष्ठी विद्यार्थियों में मानवाधिकारों के प्रति संवेदनशीलता और नागरिक उत्तरदायित्व बढ़ाने में अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुई।
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