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साईं बाबा की 110 साल पुरानी पादुकाएं लखनऊ पहुंचीं:पहली बार शिरडी से बाहर दर्शन के लिए रखी गईं

लखनऊ में साईं बाबा की 110 साल पुरानी मूल चरण पादुकाएं पहली बार शिरडी से बाहर लाई गईं। गोल्डन सेलिब्रेशन लॉन में इनके दर्शन के लिए सुबह से रात तक भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। श्री साईं बाबा संस्थान ट्रस्ट, शिरडी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और 2013 बैच के आईएएस गोरक्ष गडिलकर पादुकाओं को लेकर कपूरथला साईं मंदिर पहुंचे, जहां उनका फूलों से स्वागत किया गया। आयोजक राजीव अरोड़ा ने बताया कि पादुकाओं को पहली बार शिरडी से बाहर लाकर लखनऊ में दर्शन के लिए रखा गया है। बुधवार को गोल्डन सेलिब्रेशन लॉन में सुबह से रात 10 बजे तक भक्तों के लिए दर्शन खुले रहे। इस दौरान दोपहर 12 बजे मध्याह्न आरती हुई, जिसके बाद 1 बजे पूज्य गुरु शुभ्रम बहल ने साईं कथा सुनाई। राधा राठौर ने अपनी सुरीली प्रस्तुतियां दीं शाम के समय सचदेवा और साईं सेवक उमाशंकर महाराज ने भजन प्रस्तुत किए। 6:30 बजे धूप आरती हुई, जिसके बाद साईं भजन सम्राट सक्सेना बंधु और राधा राठौर ने अपनी सुरीली प्रस्तुतियां दीं। प्रवक्ता अनुराग साहू के अनुसार, 12 दिसंबर को सुबह 9 बजे साईं मंदिर कपूरथला से पादुका यात्रा गोल्डन सेलिब्रेशन लॉन के लिए रवाना होगी। यहां पादुकाएं सुबह 11 बजे से रात 10 बजे तक दर्शन के लिए उपलब्ध रहेंगी। दोपहर 1 बजे गुरु शुभ्रम बहल कथा वाचन करेंगे, शाम 4 बजे विष्णु तिवारी के भजन होंगे, 6:30 बजे धूप आरती और 7 बजे पारस जैन की प्रस्तुति होगी। दिन भर भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाएगा। बाबा की मूल पादुकाएं हैं आईएएस गोरक्ष गडिलकर ने बताया कि यह यात्रा उन भक्तों, बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए आयोजित की गई है जो शिरडी नहीं जा पाते। उन्होंने जानकारी दी कि ये बाबा की मूल पादुकाएं हैं, जिन्हें वे 1918 में समाधि से पूर्व पहनते थे।ये पादुकाएं बिना किसी सजावट के अपनी मूल अवस्था में संरक्षित हैं और इनका संरक्षण आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा किया जाता है। भक्तों को पादुकाओं को छूने की अनुमति नहीं है, लेकिन वे कांच के कवर से दर्शन कर सकेंगे।


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