हरदोई। मिश्रिख लोकसभा क्षेत्र के सांसद अशोक कुमार रावत द्वारा लोकसभा में दिए गए एक बयान को लेकर तीव्र विरोध शुरू हो गया है। इस बयान में उन्होंने महाराजा सल्हिय सिंह अर्कवंशी, महाराजा मल्ल्यि सिंह अर्कवंशी और चक्रवर्ती सम्राट महाराजा सुहेलदेव राजभर जैसे ऐतिहासिक महापुरुषों को पासी जाति से संबंधित बताया था। अखिल भारतीय अर्कवंशी क्षत्रिय महासंघ/ट्रस्ट ने इस कथन को तथ्यहीन, अपमानजनक और समाज की भावनाओं को आहत करने वाला बताया है। महासंघ के केंद्रीय कार्यालय और प्रांतीय पदाधिकारियों ने इस संबंध में लोकसभा अध्यक्ष को एक विस्तृत ज्ञापन भेजा है। ज्ञापन में कहा गया है कि सांसद अशोक रावत ने संवैधानिक पद की गरिमा के विपरीत जाकर गलत तथ्यों के आधार पर जानबूझकर भ्रामक वक्तव्य दिया है। महासंघ ने आरोप लगाया कि यह बयान न केवल समाज की भावनाओं को ठेस पहुँचाता है, बल्कि इतिहास से छेड़छाड़ कर सामाजिक वैमनस्य फैलाने जैसा गंभीर कृत्य है। महासंघ ने लोकसभा अध्यक्ष से निम्नलिखित प्रमुख मांगें की हैं: सांसद अशोक रावत का वक्तव्य सदन की कार्यवाही से तत्काल हटाया जाए। गलत तथ्य रखने और सदन की गरिमा भंग करने पर सांसद के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए। भविष्य में किसी भी ऐतिहासिक महापुरुष पर झूठे व अपमानजनक वक्तव्यों को रोकने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश बनाए जाएँ। सांसद से सार्वजनिक रूप से माफी दिलाई जाए। महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश अर्कवंशी ने कहा, ‘सदन में दिए गए बयान न केवल असत्य हैं, बल्कि चुनावी समय में द्वेष फैलाने की साजिश प्रतीत होते हैं। नेताओं द्वारा मूर्तियाँ लगाने के वादे तो बहुत किए जाते हैं, पर अब तक ऐतिहासिक राजाओं का सम्मान तक नहीं दिया गया है।’ महासंघ ने चेतावनी दी है कि यदि इन मांगों पर कार्रवाई नहीं की गई, तो एक बड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा। इस बीच, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने भी सांसद अशोक रावत के बहिष्कार का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि जब तक अशोक रावत माफी नहीं मांगेंगे, उनका बहिष्कार किया जाएगा, क्योंकि उन्होंने उनके आराध्य का अपमान किया है। उन्होंने मिश्रिख सांसद अशोक रावत और सांसद कौशल किशोर का बहिष्कार और खुला विरोध करने की बात भी कही है।
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