सहारनपुर कोर्ट ने एक मुख्य आरोपी और 6 अभियुक्तों को महिला की हत्या करने का दोषी करार दिया है। कोर्ट ने मुख्य आरोपी को उम्रकैद और अन्य 6 अभियुक्तों को 3-3 साल की सजा सुनाई है। 11 साल पहले एक महिला की घर में घुसकर गोली मारकर हत्या कर दी थी। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, कक्ष संख्या-3 की कोर्ट ने पत्रावली पर आए साक्ष्यों और गवाहों की गवाही के आधार पर ये सजा सनाई है। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता दीपक ने बताया कि वादी कबीर आलम ने थाना नागल में एक अगस्त 2013 को लिखित तहरीर देकर बताया था कि घटना की रात वो अपने घर पर मौजूद था। उसी दौरान गांव के ही रहने वाले शाहबेआलम समेत अन्य आरोपी एक राय होकर उसके घर में घुस आए। आरोपियों के हाथों में तमंचे और लाठी-डंडे थे। उस समय घर के अंदर सिकंदर, मुर्तजा और मकसूद चाय पी रहे थे। वादी के अनुसार, घर में घुसते ही आरोपियों ने गाली-गलौज शुरू कर दी और जान से मारने की धमकी देने लगे। इसी दौरान मुख्य आरोपी शाहबेआलम ने तमंचे से फायर कर दिया। गोली कबीर आलम की पत्नी रहनूमा को लगी, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गईं। परिजन उन्हें बचाने की कोशिश करते, इससे पहले ही रहनूमा की मौके पर ही मौत हो गई। घटना के बाद आरोपियों ने मौके से फरार होकर इलाके में दहशत फैला दी थी। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा। पुलिस ने वादी की तहरीर के आधार पर हत्या समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया। इसके बाद मामले की विवेचना शुरू की गई। जांच के दौरान पुलिस ने घटनास्थल से साक्ष्य जुटाए, गवाहों के बयान दर्ज किए और आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत एकत्र किए। विवेचना पूरी होने के बाद पुलिस ने आरोप पत्र तैयार कर कोर्ट में दाखिल किया। इसके बाद मामला सत्र न्यायालय में विचाराधीन रहा। सुनवाई के दौरान अभियोजन और बचाव पक्ष की ओर से कई गवाह पेश किए गए। सुनवाई के दौरान वादी कबीर आलम ने कोर्ट में अपने बयान में बताया कि घटना से करीब दो माह पहले उसका आरोपियों से विवाद चल रहा था। उसने एसडीएम कार्यालय में प्रार्थना पत्र देकर आरोपियों द्वारा बनाए जा रहे खाद के गड्ढों को रुकवाया था। इस बात को लेकर आरोपी उससे रंजिश रखने लगे थे। वादी ने बताया कि इसके बाद जब उसका बेटा किसी निजी काम से आरोपियों के यहां गया तो उसे जान से मारने और अंजाम भुगतने की धमकी दी गई थी। इस विवाद के चलते आरोपियों के चालान भी हुए थे। वादी का आरोप था कि इसी रंजिश के चलते आरोपियों ने साजिश रचकर उसकी पत्नी की हत्या कर दी। मामले में सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता दीपक ने बताया कि अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, कक्ष संख्या-3 की कोर्ट ने मुख्य आरोपी शाहबेआलम को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। वहीं, इस मामले में शामिल अन्य छह दोषियों सत्तार, गुफरान, मुस्तकीम, अहतशाम, इंतजार और तारिक को तीन-तीन वर्ष के सश्रम कारावास की सजा दी गई है। कोर्ट ने सभी दोषियों पर अलग-अलग अर्थदंड भी लगाया है। अर्थदंड अदा न करने की स्थिति में अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। अभियोजन पक्ष ने गवाहों के बयान, चिकित्सकीय रिपोर्ट, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और विवेचना के दौरान जुटाए गए साक्ष्यों का हवाला देते हुए आरोपियों को दोषी ठहराने की मांग की। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सभी गवाहों के बयान, पत्रावलियों में आए साक्ष्य और दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। कोर्ट ने माना कि अभियोजन पक्ष आरोप सिद्ध करने में सफल रहा है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मुख्य आरोपी शाहबेआलम द्वारा की गई फायरिंग से महिला की मौत हुई, जो जघन्य अपराध की श्रेणी में आता है। इसलिए उसे आजीवन कारावास की सजा दी जाती है। वहीं, अन्य छह आरोपियों की भूमिका को देखते हुए उन्हें तीन-तीन वर्ष के कारावास की सजा सुनाई गई है।
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